यह है मामला-
इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कानून के तहत मामला दर्ज हुआ था और इसी कानून के तहत सिंघवी सहित बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। बाद में एसीबी वाले केस में सभी आरोपियों को जमानत मिल गई और उनके खिलाफ चार्जशीट भी पेश हो गई थी। २०१७ में एसीबी केस के आधार पर ईडी ने आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए यानि मनी लॉड्रिंग कानून के तहत भी एक मामला दर्ज किया।
इसलिए काला धन है यह-
ईडी का कहना है कि रिश्वत में ली गई दो करोड़ ५५ लाख रुपए की रकम काला धन थी। पकडे़ जाने पर आरोपियों ने कहा कि यह रिश्वत नहीं है बल्कि शेरखान ने खान खरीदने के लिए यह रकम दी थी और यह रकम शेर खान और उसके मित्र के बैंक खातों से निकाली गई थी। लेकिन एसीबी ने इस स्पष्टीकरण को सही नहीं माना।
ईडी का कहना है कि आरोपियों ने काली कमाई को खान खरीदने के नाम पर सफेद धन मंे बदलकर मुख्य धारा में चलाने की कोशिश की इसलिए यह मनी लॉड्रिंग है। इसी आधार पर ईडी यानि प्रवर्तन निदेशालय ने सिंघवी सहित आठ आरोपियों के खिलाफ ईडी मामलों की विशेष कोर्ट में शिकायत पेश की थी। ईडी कोर्ट ने २१ जनवरी,२०१९ को प्रसंज्ञान लेकर सभी आठ आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर तलब किया था। उदयपुर की एसीबी कोर्ट मंे चल रहा एसीबी वाला केस भी जयपुर की ईडी कोर्ट में शिफ्ट हो गया था।
एसीबी केस में हुई जमानत जब्त-
आरोपियों के खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामील नहीं हुई यानि ना तो पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और ना ही आरोपी स्वयं हाजिर हुए। लेकिन एसीबी वाले केस में आरोपियों की ओर से लगातार हाजिरी माफी की अर्जियां पेश होती रहीं और मंजूर भी होती रहीं। ईडी ने कहा कि मनी लॉड्रिंग मामले में प्रसंज्ञान और गिरफ्तारी वारंट जारी होने की सूचना होने के बाजवूद आरोपी जानबूझकर पेश नहीं हो रहे हैं। जबकि एसीबी केस में वह हाजिरी माफी की अर्जी पेश कर रहे हैं इसलिए एसीबी वाले केस में उनकी जमानत जब्त की जाए। आरोपी पक्ष ने इसका विरोध किया लेकिन कोर्ट ने २१ सितंबर को आरोपियों की एसीबी वाले केस में जमानत जब्त कर ली।
यह कहा हाईकोर्ट में-
आरोपियों ने मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत लिए गए प्रसंज्ञान आदेश और गिरफ्तारी वारंट को जारी करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना है कि मनी लॉडिंग के तहत आरोप लगाने के लिए मामले में आवश्यक तत्व मौजूद नहीं हैं। बरामद रकम एक खान खरीदने के लिए शेर खान और उसके एक दोस्त के बैंक खातों से निकाली थी। लेकिन एसीबी ने इस स्पष्टीकरण को झूठा माना और आरोपियों के खिलाफ षड़यंत्र रचकर शेरखान से रिश्वत की रकम वसूलने के मामले में चार्जशीट पेश कर दी। यह पैसा ना तो आरोपियों के बीच में बांटा गया और ना ही कहीं अन्य इसे निवेश किया गया। इसलिए मामले में मनी लॉड्रिंग का केस ही नहीं बनता इसलिए प्रसंज्ञान आदेश गलत है और इसे रद्द किया जाए। ईडी इडी कोर्ट का सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी करना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है और कोर्ट को पहले समन जारी करने चाहिए थे। ईडी का कहना था कि अपराध गैर-जमानती है इसलिए कोर्ट का सीधे गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करना सही है।
शेर खान की पत्नी इसलिए बनी आरोपी-
कथित तौर पर रिश्वत देने वाले खान मालिक शेर खान की मृत्यु हो चुकी है। उसकी पत्नी तमन्ना बेगम ही उसकी उत्तराधिकारी हैं और पति की मृत्यु होने के बाद उन्होंने एसीबी कोर्ट में एक अर्जी पेश की जब्त रकम छोडऩे की मांग की थी। उनका कहना था कि एसीबी खुद ही यह मानती है कि बरामद रकम दिवंगत शेर खान और उसके मित्र के बैंक खातों से निकाली गई थी। लेकिन अब उनकी मृत्यु हो चुकी है तो यह साबित नहीं हो सकता कि आखिर यह रकम किस काम के लिए निकाली गई थी इसलिए इसे उन्हें वापिस लौटाया जाए। तमन्ना बेगम की इस अर्जी के बाद ईडी ने उन्हें भी मनी लॉड्रिंग केस में आरोपी बना लिया।
बॉक्स-
यह हैं आरोपी-
-पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी (तत्कालीन प्रमुख सचिव खान विभाग )
-पंकज गहलोत ( तत्कालीन उप-निदेशक खनन )
-पुष्कर राज आमेटा (तत्कालीन एसई )
-श्याम सुदंर सिंघवी (सीए )
-संजय सेठी (खान मालिक और बिचौलिया )
-राशिद शेख (खनन कारोबारी )
-धीरेन्द्र सिंह उर्फ चिंटू (खनन माफिया)
-तमन्ना बेगम (दिवंगत शेर खान की पत्नी )