एडवोकेट जितेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि याचिकाकर्ता एबीवीपी से और विक्रम नागर ने एनएसयूआई तथा एक निर्दलीय ने यूनिवर्सिटी छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरे थे। निर्दलीय उम्मीदवार रविराज ने अपना नामांकन वापिस ले लिया था। इसके बाद केवल दो उम्मीदवार ही मैदान में रह गए और दोनों की नामांकन की स्क्रूटनी हुई। स्क्रूटनी के दौरान एनएसयूआई के उम्मीदवार विक्रम नागर के खिलाफ फर्जी डिग्री के आधार पर यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने की शिकायत हुई। जांच में शिकायत सही पाई गई और यूनिवर्सिटी ने नागर के खिलाफ मुकदम दर्ज करवाने के साथ ही उसका नामांकन व यूनिवर्सिटी में प्रवेश रद्द कर दिए। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सात दिन के भीतर एक आवेदन देकर कहा कि नागर का यूनिवर्सिटी में प्रवेश रद्द होने के साथ ही उसका नामांकन भी रद्द हो चुका है व उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। एेसे में वह एपेक्स अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार बची है इसलिए उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जाए। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने याचिकाकर्ता को निर्विरोध निर्वाचित करने के स्थान पर चुनाव ही रद्द कर दिया। जबकि कानून के अनुसार कोई भी चुनाव प्रक्रिया एक बार शुरु हो जाए तो ना तो उस पर कोई स्टे हो सकता है और ना ही उसे रद्द किया जा सकता है। इसलिए युनिवर्सिटी के चुनाव रद्द करने के आदेश को गैर-कानूनी घोषित कर याचिकाकर्ता को निर्विरोध एपेक्स अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित घोषित करने के आदेश दिए जाएं।