एडवोकेट नितिन जैन ने बताया कि राज्य सरकार ने १५ नवंबर, २०१९ की अधिसूचना से राज्य में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों का पुर्नगठन, पुर्नसीमांकन और नई ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों का गठन किया था। ग्राम पंचायत फुलवाड़ा में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। इसके बाद सरकार ने १ दिसंबर और १२ दिसंबर, २०१९ को भी इसी प्रकार की अधिूसचनाएं जारी की, लेकिन ग्राम पंचायत फुलवाड़ा इनसे भी अप्रभावित रही। १८ दिसंबर, २०१९ को लॉटरी में ग्राम पंचायत फुलवाड़ा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया और सुप्रीम कोर्ट ने २४ जनवरी, २०२० को चुनाव करवाने की अनुमति दे दी। राज्य सरकार ने इसी दिन पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के पुर्नगठन, पुर्नसीमांकन और नवगठित पंचायतों की दुबारा से लॉटरी निकालने के आदेश जारी कर दिए। इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायत फुलवाड़ा को शामिल किया और अनुसूचित जाति से बदलकर ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिया। ग्राम पंचायत सरकार की १५ नवंबर,१ दिसंबर और १२ दिसंबर, २०१९ की अधिसूचनाओं से किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं थी। इसलिए फुलवाड़ा ग्राम पंचायत की दुबारा लॉटरी निकालकर उसकी आरक्षित श्रेणी में बदलाव नहीं किया जा सकता। याचिका में सरकार की कार्रवाई को निरस्त करने की गुहार की है। मामले में अगली सुनवाई ८ फरवरी को होगी।