उन्होंने कोर्ट को बताया कि छात्र को नारकोटिक्स केस में तीन महीने जेल में रहना पड़ा था। इस कारण वह अगस्त में परीक्षा नहीं दे पाया। यमन और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत वह भारत में रहकर पढ़ाई कर रहा है और यूनिवर्सिटी की ओर से बोनाफाइड स्टूडेंट सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही उसको एफआरआरओ स्टे वीजा जारी होगा। उसे परीक्षा में शामिल नहीं कर उसके मानवीय व कानूनी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यूनिवर्सिटी व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए कहा।