यह है मामला-
याचिकाकर्ता के एडवोकेट भरत व्यास ने बताया कि अजमेर रोड पर किंग्स रोड और गोपालपुरा बाइपास के कार्नर पर स्थित नर्सरी की २३ बीघा तीन बिस्वा जमीन है। खातेदार शकुतंला अजमेरा की यह जमीन १९७९ में यूआईटी जयपुर ने अवाप्त की थी और १९८७ तक प्रक्रिया पूरी होकर जमीन सरकार में निहित हो गई और १९८९ में अवॉर्ड भी पारित हो गया। अगस्त २००५ में हाईकोर्ट ने भी अवाप्ति को सही ठहराते हुए खातेदार को अवाप्ति से मुक्त करने के लिए सरकार को प्रतिवेदन देने की छूट भी दी थी।
आरटीआई में प्राप्त सूचना के अनुसार खातेदार ने अदालती आदेश की पालना में कोई प्रतिवेदन नहीं दिया है। १९८५ में इस जमीन को अरबन सीलिंग एक्ट के तहत जब्त किया था। इस आदेश को खातेदार ने संभागीय आयुक्त के समक्ष चुनौती दी और कहा कि जमीन नर्सरी की है और मास्टर प्लान में भी नर्सरी ही है इसलिए इस जमीन को अरबन सीलिंग एक्ट के तहत जब्त नहीं किया जा सकता। संभागीय आयुक्त ने इसी आधार पर इस जमीन को अरबन सीलिंग एक्ट के तहत जब्त करने को रद्द कर दिया था।
मास्टर प्लान का दिया हवाला
मास्टर प्लान २०११ और २०२५ में भी इस जमीन को नर्सरी का ही बताया गया है। हाईकोर्ट के गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार के मामले में दिए आदेश के अनुसार भी मास्टर प्लान के विपरीत जमीन का अन्य उपयोग नहीं हो सकता। इसके बावजूद जमीन पर अवैध रूप से गोदाम, मार्बल कटिंग मशीन और कई रेस्टोरेंट बन गए हैं और अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।