जयपुर

मां बनने में डर कैसा ?

यह एक प्रकार की समस्या है जिसमें मां बनने को लेकर उनके दिमाग में गलत अवधारणाएं बन जाती हैं।

जयपुरDec 19, 2019 / 02:03 pm

Kiran Kaur

मां बनने में डर कैसा ?

मां बनना हर एक महिला के लिए एक सुखद अनुभव होता है। लेकिन यह बात भी सामने आई है कि मां बनने को लेकर कई महिलाओं के मन में डर होता है। यह एक प्रकार की समस्या है जिसमें मां बनने को लेकर उनके दिमाग में गलत अवधारणाएं बन जाती हैं। इस मनोरोग को टोकोफोबिया के नाम से जाना जाता है। टोकोफोबिया एक इमोशनल समस्या है जिसकी वजह डिप्रेशन होता है। इस रोग में महिलाएं मां बनने को लेकर कई तरह की आशंकाओं से ग्रसित रहती हैं। उन्हें लगता है कि डिलीवरी के दौरान उनकी मौत भी हो सकती है। वे डिलीवरी को लेकर अपने दिमाग में कई तरह की आशंकाएं पाले रखती हैं। यही वजह है कि इस रोग से पीडि़त महिलाएं, मां बनने से बचती हैं।
प्राइमरी टोकोफोबिया: पहली बार मां बनने वाली महिलाएं जब प्रेंगनेंसी को टालती है और मां बनने से घबराती हैं तो यह स्थिति प्राइमरी टोकोफोबिया कहलाती है। इस मानसिक रोग के पीछे के कारणों में अपने घर में किसी का दर्द भरा अनुभव या उसके साथ हुआ कोई हादसा भी हो सकता है। यह भी हो सकता है कि डिलीवरी संबंधी उन्होंने जो भी बातें सुनीं, देखी या महसूस की वे सब निगेटिव ही रहीं।
सेकंडरी टोकोफोबिया: सेकंडरी टोकोफोबिया से वे महिलाएं पीडि़त होती हैं जिनका अनुभव पहली बार मां बनने के दौरान अच्छा नहीं रहता। पहली डिलीवरी की अधिक पीड़ा और तकलीफ उन पर बहुत हावी हो जाती है। इससे वह दोबारा मां बनने से घबराने लगती हंै। उन्हें लगता है कि अगर वह दोबारा गर्भवती हुई तो उनकी जान भी जा सकती है। इसी सोच के चलते वह डिप्रेशन में आ जाती है और फिर से मां बनने से कतराती हैं।
काउंसलिंग: इस मनोराग से पीडि़त महिलाओं को काउंसलिंग की जरूरत होती है। स्त्री रोग विशेषज्ञ की कांउसलिंग के जरिए इस रोग से पीडि़त महिलाओं को इस डर से बाहर निकाला जा सकता है। पीडि़त महिलाओं को यह बताया जाना जरूरी है कि गर्भावस्थाा एक नॉर्मल प्रोसेस है, इसे लेकर दिमाग में भ्रंातियां और डर पालने के बजाय इसे सहजता से लें।

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