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3.13 करोड़ युवा आबादी में से 62 लाख असमय गंजेपन और बाल झड़ने से परेशान, अब पोस्ट कोविड में भी बालों पर अटैक

locationजयपुरPublished: Sep 20, 2021 09:51:40 am

Submitted by:

Vikas Jain

स्लग गंजेपन के शिकार 50 प्रतिशत को इससे मिल रहा मानसिक अवसाद, सरकारी अस्पताल सिर्फ दवा देने तक ही सीमित..ट्रांसप्लांट की सुविधा सिर्फ निजी केन्द्रों पर
सब हैडिंग निजी सेंटरों पर लाखों रुपए खर्च कर ट्रांसप्लांट कराने में सक्षम नहीं 90 प्रतिशत पीड़ित

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5 corona positive patients found in NTPC colony of Singrauli

विकास जैन

जयपुर. राजस्थान की 3.13 करोड़ युवा आबादी में से करीब 15 से 20 प्रतिशत यानि करीब 62 लाख युवा पहले से ही असमय बाल झड़ने और गंजेपन की समस्या के शिकार हैं। वहीं, अब पोस्ट कोविड के रूप में भी बालों पर अटैक सामने आ रहा है। विभिन्न विशेषज्ञों के पास पिछले तीन—चार महीनों से हर दूसरे दिन ऐसे मामले पहुंच रहे हैं। जिनमें महिलाएं और पुरुष समान रूप से शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि पोस्ट कोविड की अन्य समस्याओं के साथ ही इसका भी कोई कारण अभी तक सामने नहीं आ पाया है।
दरअसल, बाल झड़ने की समस्या जेनेटिक सहित पर्यावरणीय व जीवन शैली कारणों से होती हैं। ऐसे युवा मानसिक अवसाद के भी शिकार हो रहे हैं। इन सबके बावजूद बड़े सरकारी अस्पतालों में इसका इलाज सिर्फ सामान्य उपचार दवा देने तक ही सीमित है।
सरकारी अस्पतालों पर दबाव का डर, सिर्फ इसीलिए परेशानी दरकिनार

गंजेपन के इलाज में हर तरह से निराश होने के बाद इसका अंतिम उपाय हेयर ट्रांसप्लांट भी है। लेकिन इसकी सुविधा सरकारी केन्द्रों में नियमित तौर पर है ही नहीं। मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्लास्टिक सर्जरी व त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास इसके शिकार लोग पहुंच रहे हैं। जिनके पास पहले से ही अन्य मरीजों का दबाव रहता है, इसलिए नियमित तौर पर ट्रांसप्लांट की सुविधा यहां दी ही नहीं जाती। सरकार भी मानसिक अवसाद देने वाली इस समस्या को सिर्फ सुंदरता का इलाज मानकर ही ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही है। जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक दिनभर में करीब 100 बाल गिरना नॉर्मल होता है, बाल अधिक टूट रहे हैं तो यह चिंता का विषय हो सकता है
निजी अस्पतालों में लाखों का पैकेज, मेडिक्लेम में भी नहीं कवर

विशेषज्ञों के मुताबिक बाल झड़ने के शिकार करीब 50 प्रतिशत लोगों का अंतिम इलाज उपाय ट्रांसप्लांट ही है। लेकिन निजी केन्द्रों पर लाखों का खर्चा होने के कारण इसमें से 1 प्रतिशत भी ट्रांसप्लांट की सोच भी नहीं पाते। एक एक बाल ट्रांसप्लांट का खर्चा करीब 50 रुपए तक बैठता है और कई मामलों में हजारों—लाखों बाल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। ट्रांसप्लांट को कॉस्मेटिक उपचार में मानकर आमतौर पर मेडिक्लेम में भी यह कवर नहीं किया जाता। विशेषज्ञों के मुताबिक बड़े सरकारी केन्द्रों में डेडिकेटेड हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर बनाकर भी ऐसे लोगों की समस्या कम की जा सकती है।
जल्द आओ..गंजापन रोक सकते हैं — त्वचा विशेषज्ञ

हेयर ट्रांसप्लांट तो प्लास्टिक सर्जन ही कर सकते हैं, लेकिन त्वचा रोग विभाग में भी ऐसे मरीज लगातार आते हैं। यदि बाल झड़ने की प्रारंभिक अवस्था में ही ऐसे लोग हमारे पास आकर उपचार लेते हैं तो उन्हें गंजेपन की ओर बढ़ने से रोकने में हम काफी हद तक कामयाब होते हैं।
डॉ.दीपक माथुर, अतिरिक्त प्राचार्य एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
युवाओं में बढ़ रही यह समस्या — प्लास्टिक सर्जन

सरकारी अस्पतालों में पोस्ट कोविड हिस्ट्री लेकर बाल झड़ने के शिकार कई लोग आ रहे हैं। जिनमें महिलाएं और पुरुष समान रूप से शामिल हैं। युवा आबादी में से करीब 15 से 20 प्रतिशत में बाल झड़ने की समस्या देखने को मिल रही है। ट्रांसप्लांट अंतिम इलाज के तौर पर किया जाता है, हमारे यहां ऐसे मरीजों को देखा जाता है।
डॉ.राकेश जैन, प्लास्टिक सर्जन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
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इंफोग्राफिक के लिए
15 से 20 फीसदी युवा आबादी गंजेपन की शिकार
गंजेपन की समस्या में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात 30:70
50 प्रतिशत के लिए अंतिम उपाय हेयर ट्रांसप्लांट ही
50 रुपए तक प्रति बाल ट्रांसप्लांट खर्चा वसूलते हैं निजी केन्द्र
लाखों में जाता है निजी केन्द्रों पर ट्रांसप्लांट का खर्चा
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