प्रसव पूर्व देखभाल की समय अवधि – 04 से 28 सप्ताह तक प्रति माह एक दौरा
– 28 से 36 सप्ताह प्रति माह दो दौरे
– 36 सप्ताह से बच्चे के जन्म तक प्रति सप्ताह एक दौरा
– उच्च जोखिम में शामिल महिलाओं जिनके मधुमेह, बीपी या अन्य पुरानी बीमारियां हैं, उनके लिए डॉक्टर अस्प्ताल विजिट के शिड्यूल को संशोधित भी कर सकती हैं
(शिशु रोग विशेषज्ञ व जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता के अनुसार प्रसव पूर्व सही तरीके से हुई देखभाल से जन्म के बाद शिशु के शारीरिक विकास पर बेहतर प्रभाव पड़ता है)
पिछडऩे के बड़े कारण
– अत्यंत छोटे गांव-ढाणियों में अस्पताल उपलब्ध भी हैं तो वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं
– राजस्थान में आज भी संस्थागत प्रसव 100 प्रतिशत नहीं हैं