एक हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले आपको कई बातों का खास ध्यान रखना चाहिए और अच्छी तरह से सोच-विचार के बाद ही पॉलिसी खरीदनी चाहिए। देश की अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियां तरह-तरह की प्रीमियम रेंज में अलग-अलग बीमारी और अलग-अलग अमाउंट का कवर देती हैं। अगर आपका इंश्योरेंस प्रीमियम कम है तो आपको कम अमाउंट का ही कवर मिलेगा और अगर आपका प्रीमियम महंगा तो आपको ज्यादा अमाउंट का कवर मिलेगा। महंगे प्रीमियम वाली पॉलिसी में ज्यादा अमाउंट के साथ-साथ ज्यादा बीमारियों से भी कवर मिलता है। इसलिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपको किस तरह की पॉलिसी की जरूरत है। कई बार लोग ऐसी पॉलिसी खरीद लेते हैं, जो उनकी बीमारी को कवर ही नहीं करती हैं. इसलिए हमेशा वही पॉलिसी खरीदें जो आपकी बीमारी को पूरी तरह से कवर करती हों।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त इन बातों का रखें ध्यान कॉस्मेटिक सर्जरी: आमतौर पर बीमा कंपनियों की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कॉस्मेटिक सर्जरी को कवर नहीं किया जाता है। कॉस्मेटिक उपाय बोटॉक्स हेल्थ और शरीर के भिन्न हिस्सों से अत्यधिक फैट को निकालने के लिए होने वाली सर्जरी लिपोसक्शन इस लिस्ट में शामिल नहीं है। इम्प्लांट्स और इसी तरह की सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं को भी क्लेम के दायरे से बाहर रखा गया है।
बांझपन या गर्भावस्था: बांझपन या गर्भावस्था से जुड़ी अन्य जटिलताओं जैसे गर्भपात आदि की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने वाले खर्चों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के कवरेज से बाहर रखा गया है। हालांकि, कुछ मैटरनिटी हेल्थ प्लान ऐसे खर्चों को कवर करने की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन उनमें प्रतीक्षा अवधि की शर्त हो सकती है।
पहले से मौजूद बीमारियां: पहले से मौजूद बीमारियों के कारण आपका क्लेम खारिज हो सकता है। इंश्योरेंस सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले किसी बीमारी से पीड़ित रहे हैं, उन्हें बीमारी के लिए कवरेज नहीं मिल सकता है। हालांकि, यह शर्त और संबंधित प्रतीक्षा अवधि विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों में अलग-अलग होती है।
देखने-सुनने से संबंधित बीमारी: सुनने और देखने से संबंधित बीमारी दो तरह से हो सकती है। यह या तो पहले से हो सकती है अथवा किसी दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। पहले मामले में, इसे कवर नहीं किया जाता। दूसरे मामले में यदि उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, तो कवरेज नहीं मिलता है।
डेंटल कवरेज: दांतों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है, इसीलिए इसे कवर नहीं किया जाता है। हालांकि, अगर किसी एक्सीडेंटल केस में चोट के कारण दंत चिकित्सा का खर्च आता है, तो इंश्योरेंस पॉलिसी में उन खर्चों को कवर किया जाता है।