जयपुर

गम्भीर समस्याओं में से एक है आटिज्म

इसके प्रभाव से व्यक्ति सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है

जयपुरMay 28, 2018 / 03:37 pm

Ashiya Shaikh

autism

मोहित शर्मा@ जयपुर . आटिज्म रोग के हर साल दस लाख से ज्यादा रोगी सामने आ रहे हैं। यह एक मानसिक विकास के दौरान होने वाला रोग है। जो व्यक्ति के दूसरे लोगों से जुडने, मिलने झुलने की प्रकृति और बातचीत करने की प्रवृति को कम कर देता है। यानि कि यह विकार या रोग व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है। जैसे किसी काम को बार-बार दोहराना। यह रोग किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर दो से तीन साल के बच्चों में ही यह रोग देखा जाता है। जिन बच्चों में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है।
कारण
इसके मुख्य कारण जैनेटिक और पर्यावरण कारक हैं। प्रेगनेन्सी के दौरान होने वाले इन्फेक्शन, प्रेगनेन्सी में मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग, शराब सिगरेट कोकीन जैसे मादक पदार्थो का प्रेगनेन्सी में प्रयोग करना। कुछ टीके जो कि बच्चों को लगते हैं या प्रेगनेन्सी के दौरान मां को लगते हैं। मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता, जन्म से पूर्व बच्चे का विकास सही रूप से नहीं हो पाना, लेकिन इसका प्रमुख कारण ज्ञात नहीं हो पाया।
लक्षण
यह मस्तिष्क के कई भागों को प्रभावित करता है, लेकिन माता-पिता द्वारा बच्चे के प्रारम्भिक दो वर्षों में ही इसके लक्षण पता किए जा सकते हैं। जैसे कि बच्चे का लोगों को देखकर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न करना। लोगों को न देखना, न उनको देखकर रोना या मुस्कुराना। नाम पुकारे जाने पर कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं देना। एक ही काम को दोहराते रहना। अजीब तरह की क्रियाए या आवाज करना। सही गलत में फर्क नहीं समझना। आवाज में बदलाव या आवाज से परेशानी होना।
डॉक्टर का कहना है
होम्योपैथी द्वारा आटिज्म का इलाज संभव है क्योंकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में रोगी के लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। जिसके कारण इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।
डॉ. ऐ. के. सिंह, बी.एम.एच.एस. हॉम्योपैथिक
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