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दिवंगत उपराष्ट्रपति के परिजन बताएं कितना समय चाहिए बंगला खाली करने के लिए

locationजयपुरPublished: Dec 10, 2019 07:28:18 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Late VP Bhairo Singh Shekhawat) दिवंगत उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के परिजनों से (Govt Bunglow) सरकारी बंगला खाली करवाने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिवंगत शेखावत के दत्तक पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने ट्रायल कोर्ट के 16 नवंबर और एडीएम के 7 अक्टूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

जयपुर

(Late VP Bhairo Singh Shekhawat) दिवंगत उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के परिजनों से (Govt Bunglow) सरकारी बंगला खाली करवाने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिवंगत शेखावत के दत्तक पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने ट्रायल कोर्ट के 16 नवंबर और एडीएम के 7 अक्टूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस अशोक गौड़ ने याचिकाकर्ता के एडवोकेट से पूछा कि उन्हें बंगला खाली करने के लिए कितना समय चाहिए ? इस पर एडवोकेट विमल चौधरी ने इस संबंध में अपने मुवक्किल से पूछकर बताने केा कहा और कोर्ट ने सुनवाई बुधवार को तय की है।

एडवोकेट विमल चौधरी ने बताया कि एडीएम ने ७ अक्टूबर को उनकी पीठ पीछे आदेश दिए था। आदेश में दोनों पक्षों की बहस सुनने का हवाला दिया है जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें सुनवाई का अवसर ही नहीं दिया गया था। तीन अक्टूबर को पेश की गई अर्जी को चार अक्टूबर की बताकर खारिज कर दिया था। इसके साथ ही जिस प्रकार से एडीएम ने आदेश को उसी दिन बंगले पर चस्पां करवाने के निर्देश देना बेहद निराशाजनक और मुवक्किल की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने वाला है। याचिकाकर्ता ने एडीजे कोर्ट के १६ नवंबर के आदेश को भी चुनौती दी है। एडीजे-१५ ने एडीएम के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया था।

यह है मामला-

राज्य सरकार ने बंगला नंबर-14 दिवंगत भैंरोसिंह शेखावत को 1998 में आवंटित किया था। 2010 में शेखावत की मृत्यु होने पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय के 18 जून 2010 की अनुशंसा के आधार पर उनकी पत्नी दिवंगत सूरज कंवर को यह बंगला पेंशन एक्ट के तहत दिया गया था। 2014 में उनका भी देहांत हो गया और उनके दत्तक पुत्र और विधायक नरपत सिंह राजवी के पुत्र परिवार सहित विक्रमादित्य सिंह उसमें रहते रहे। २०१७ में सामान्य प्रशासन विभाग ने बंगला खाली करवाने के लिए एडीएम-दो जयपुर के समक्ष परिवाद दायर किया था।

दिसंबर २०१८ में नई सरकार बनने पर यह बंगला मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी को आवंटित हुआ। इससे पहले बिना अनुमति के सरकारी बंगले पर काबिज होने के चलते विधायक नरपत सिंह राजवी को गहलोत सरकार ने बंगला खाली करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्हें 23 अगस्त से 10 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना भरने का नोटिस भी दिया था। लेकिन वह किराया देने की दलील देकर बंगला खाली करने से इनकार करते रहे हैं।

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