दरअसल, रामगढ़ बांध में दो तरफ से पानी आता है। बाणगंगा की ओर विराटनगर और शाहपुरा क्षेत्र में बारिश कम होने से बांध में पानी की आवक नहीं हो सकी। इसके अलावा अच्छी बारिश होने के बावजूद रोड़ा नदी और रामगढ़ की पहाड़ियों के झरनों से बांध में पानी नहीं पहुंचा है। वजह यह रही कि बांध के भराव क्षेत्र व पानी के मार्ग में जगह-जगह अतिक्रमण बांधा बने हुए हैं। बांध के सबसे नजदीक रोड़ा नदी है। अच्छी बारिश के कारण रोड़ा नदी दो बार बह निकली लेकिन नदी का पानी बांध तक नहीं पहुंचा। बीच में आ रहे अतिक्रमण पानी की आवक को रोकने में सफल हो रहे हैं।
बारिश के दौरान रामगढ़ बांध में शाहपुरा, विराटनगर, आमेर और जमवारामगढ़ क्षेत्र से पानी नदी नालों के जरिए बांध के भराव क्षेत्र तक पहुंच पाता है। इस बार बाणगंगा के उदगम स्थल मैड़ इलाके में हल्की बारिश के कारण बांध तक पानी नहीं पहुंचा। इसके चलते बाणगंगा नदी भी नहीं कम बारिश के कारण नहीं बह सकी।
बाढ़ के दौरान भी नहीं टूट पाया बांध वर्ष 1924,1975 और 1981 में बांध पर 8-9 फीट की चादर चली थी लेकिन बांध का टूटने के नाम पर बाल भी बांका नहीं हुआ। बांध टूटने की आशंका के चलते भरतपुर रियासत को खतरे की सूचना दी गई थी। वैसे 1975 और जुलाई 1981 की बाढ़ का खतरा भी मजबूत बांध ने आसानी से झेला है।