टेस्ट और निगरानी फुटेज से पता चला है कि ट्रेन की पटरियों को पार करने की कोशिश करने वाले कछुए अक्सर उनके बीच की जगह में गिर जाते हैं, जो उनके लिए बीच चलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं छोड़ता। अफसोस की बात है, उनमें से कुछ धातु पटरियों के बीच फंस कर अनिवार्य रूप से मौत की ओर बढ़ जाते हैं।
रेलवे के प्रवक्ता ने बताया था कछुओं को समुद्र में जाने के लिए रेल लाइनों को पार करना पड़ता है। कोबे शहर के पास ट्रेन लाइनों के साथ कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्थापित यू-आकार के कंक्रीट के यह नन्हें ‘अंडरपास’ कछुए को पटरियों के बीच फंसने के खतरे से बचा रहे हैं। वे कछुओं को सुरक्षित रूप से निकालते हैं। नवंबर 2015 में यू-आकार के इन अंडरपास का उद्घाटन होने के बाद से पहले महीने में 10 कछुओं को बचाया गया था। अब तक हजारों कछुओं के लिए यह तारणहार साबित हुए हैं।
गौरतलब है कि समुद्र से कुछ ही दूरी पर स्थित, कोबे में रेल पटरियों पर मई से सितंबर तक बड़ी संख्या में रेंगने वाले जीव आते हैं।