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मुर्गियों को मोटी करने का फेर गिरा रहा है हमारी सेहत, बढ़ रहा संक्रमण का खतरा

locationजयपुरPublished: Sep 03, 2017 09:20:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

मुर्गीपालक अपने फार्म में मुर्गियों को बीमारियों से बचाने और उनका वजन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।

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जयपुर। राज्य में ज्यादातर मुर्गीपालक अपने फार्म में मुर्गियों को बीमारियों से बचाने और उनका वजन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे वातावरण में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट (एबीआर) बैक्टीरिया फैल रहा है। इस पर दवा भी असर नहीं करती। यह जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन रहा है।
सेंटर फोर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (सीएसई) के सैम्पल सर्वे ‘एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस इन पोल्ट्री एनवायर्नमेंट’ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक मुर्गियों का मोटापा बढ़ाने वाले एंटीबायोटिक से आमजन की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। अध्ययनकर्ता अमित खुराना ने बताया कि पोल्ट्री फार्म से लिए सैम्पलों में एबीआर की मात्रा अधिक मिली है। पोल्ट्री फार्म के जिस कचरे का खाद में इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे भी ड्रग रेसिस्टेंट फैल रहा है। खेतों के जरिये एबीआर भूजल और भोजन तक पहुंच सकता है। चिकन खाने से भी यह बैक्टीरिया शरीर में जा सकता है। पोल्ट्री फार्म का कचरा मुर्गियों के भोजन और ईंट-भट्टों में भी उपयोग होता है, जिससे भी पर्यावरण को खतरा है।
जयपुर-अलवर से लिए 4-4 सैम्पल
सीएसई की टीम ने राजस्थान, उप्र, हरियाणा और पंजाब के ९ जिलों से 47 सैंपल लिए। इनमें पोल्ट्री फार्म से 35 सैंपल और 12 सैंपल उस स्थान या खेत से लिए गए, जहां फार्म का कचरा इस्तेमाल हो रहा था। इनमें जयपुर, अलवर, गुरुग्राम, पानीपत, जींद, लुधियाना, गाजियाबाद, मेरठ और बुलंदशहर शामिल हैं। जयपुर और अलवर से 4-4 सैंपल लिए गए। सभी में एबीआर का स्तर अधिक पाया गया।
तीन बैक्टीरिया की अधिकता
लैब रिपोर्ट में कुल 47 सैंपलों में 13 श्रेणियों के तहत 16 एंटीबायोटिक का परीक्षण किया गया। इसमें 10 एंटीबायोटिक मिले, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इंसानों के इलाज में गंभीर महत्व की श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट में 3 बैक्टीरिया की अधिकता पाई गई। ये बैक्टीरिया हैं एस्चेरिकिया कोलाई (ई-कोलाई), क्लेबसिएला निमोनिये (के-निमोनिये) और स्टेफाइलोकोकस लेंटस (एस-लेंटस) हैं। ई-कोलाई और के-निमोनिये बैक्टीरिया दिमागी बुखार, पेशाब में संक्रमण और निमोनिया का कारण बनता है।
यहां से लिए सैंपल
राज्य सैंपल
राजस्थान 08
उप्र 17
हरियाणा 15
पंजाब 07

क्या है पोल्ट्री फार्म का कचरा
मुर्गियों का मल, गंदगी और कीचड़। एंटीबायोटिक के उपयोग से इस कचरे में बैक्टीरिया पनपते हैं, जो एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होते हैं।
यूं मानव तक पहुंच सकता है एबीआर
– फार्म के कचरे का खाद के रूप में कृषि में उपयोग करने से
– मरी हुई मुर्गियों के फेंके गए कचरे से
– फार्म से निकलने वाले गीले कचरे से
– मक्खियों के जरिए परिवहन होने से
– मांस और अंडे खाने से
– फार्म में काम करने वाले मजदूरों के जरिए
पोल्ट्री फॉर्म में इन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एनरोसिन, कोलिस्टिन, सिप्रोफ्लोक्सिसिन, एनरोफ्लोक्सिसिन।

एंटीबायोटिक का इस्तेमाल गलत
पोल्ट्री फार्म में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल गलत है। ज्यादातर फार्मों का कचरा प्रबंधन भी खराब है। इससे पर्यावरण में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट का स्तर बढ़ रहा है।
– चंद्र भूषण, उपमहानिदेशक, सीएसई।
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