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घंटों रस्सी से बंधा रहा मानसिक रोगी, उम्मीदों भरी आंखों से टपकते रहे दर्द भरे आंसू

locationउदयपुरPublished: Jan 15, 2018 07:29:17 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

-वह बेबसी भरी आंखों से मनोरोगी बेटे के कुछ अच्छा होने की उम्मीद से आई थी।

Mental Illness youngman
उदयपुर . वह बेबसी भरी आंखों से मनोरोगी बेटे के कुछ अच्छा होने की उम्मीद से आई थी। युवक रो तो नहीं आ रहा था, परन्तु कलाई में बंधी बेडि़यों (रस्सी) का दर्द आंखों से छलक रहा था। मानसिक रोग विभाग के ठीक सामने वह हर किसी को अपनी पीड़ा समझने के लिए पुकारता रहा, लेकिन उसकी पीड़ा समझने वाला कोई नहीं था।
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लगातार 24 घंटे तक चिकित्सालय में ठहरने के बावजूद उसे देखकर किसी का दिल नहीं पसीजा। थक-हार कर परिवार उसकी रस्सी खोलकर उसे गांव ले गया। मालवा चौरा निवासी मानसिक रोगी मोगा पुत्र नोना गरासिया और उसका परिवार रविवार शाम एेसी ही पीड़ा से जूझता रहा। मोगा को परिजन इस उम्मीद से शनिवार शाम यहां मानसिक रोग विभाग में लाए थे कि परिवार के बड़े बेटे का भला हो जाए। रात बिताने के बाद सुबह दो घंटे के ओपीडी के दौरान किसी भी मानसिक रोग विशेषज्ञ ने उस परिवार को समझने का साहस नहीं जुटाया।
पागलपन के दौरों को देखते हुए परिजनों ने यह सोचकर कि उसे मुख्य द्वार के बाहर बबूल की जड़ में रस्सी से बांधकर बिठा दिया कि शायद कोई डॉक्टर उसका उपचार शुरू करे। आते-जाते हर व्यक्ति की नजर उसे ‘तेरे नाम’ फिल्म में किरदार से दिखने वाले इस युवा पर पड़ी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। परिवार धर्मशाला में भी जगह नहीं पा सका। मामले में विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील खेराड़ा से संपर्क नहीं हो सका।
नर्सेज कार्मिक ने भडक़ाया
मीडिया के पहुंचने पर शाम करीब ५ बजे मानसिक रोग विभाग में मौजूद महिला नर्स ने बाहर बैठे कुछ लोगों को उकसाते दिखाई दी। वार्ड के मेल नर्स ने भी इसे हवा दी। नतीजा यह रहा कि कुछ लोगों ने गरीब परिवार पर मौके से जाने के लिए दबाव बनाया, जबकि उनमें शामिल एक युवा ने खुद को कांग्रेस जिलाध्यक्ष बताते हुए मीडिया कर्मियों और चौकी पुलिस के जवानों से उलझने की कोशिश की।
जानकारी में नहीं
24 घंटे के बाद भी मानसिक रोगी को उपचार की सुविधा नहीं मिली। इसकी मुझे सूचना नहीं है। विभाग कार्मिकों एवं एचओडी से एेसे मामलों में सक्रियता बरतने के लिए कहा जाएगा।
-डॉ. विनय जोशी, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल

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