डोटासरा बोले, हमने मामला जल्दी निपटवाया
केवल विज्ञप्ति जारी करने से भर्ती नहीं हो जाती। भर्ती कोर्ट में थी। हमने मामला जल्दी निपटवाया है। भाजपा सरकार नियुक्ति देने में जल्दी कर रही थी तो टीएसपी क्षेत्र वालों को नियुक्ति क्यों नहीं दी? कोर्ट में मामला केवल नॉनटीएसपी का था, भाजपा ने टीएसपी वालों को भी नियुक्ति नहीं दी थी।
केवल विज्ञप्ति जारी करने से भर्ती नहीं हो जाती। भर्ती कोर्ट में थी। हमने मामला जल्दी निपटवाया है। भाजपा सरकार नियुक्ति देने में जल्दी कर रही थी तो टीएसपी क्षेत्र वालों को नियुक्ति क्यों नहीं दी? कोर्ट में मामला केवल नॉनटीएसपी का था, भाजपा ने टीएसपी वालों को भी नियुक्ति नहीं दी थी।
देवनानी ने कहा, स्कूल तक आवंटित कर दिए थे
हमने फरवरी में रीट की परीक्षा कराई थी। समय पर रिजल्ट जारी किया लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। कोर्ट से राहत मिली तो स्कूल आवंटित कर दिए थे लेकिन आचार संहिता लग गई। नियुक्ति पत्र देना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने चुनाव आयोग से नियुक्तियां रुकवाई थी। अब इसका श्रेय ले रही है।
हमने फरवरी में रीट की परीक्षा कराई थी। समय पर रिजल्ट जारी किया लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। कोर्ट से राहत मिली तो स्कूल आवंटित कर दिए थे लेकिन आचार संहिता लग गई। नियुक्ति पत्र देना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने चुनाव आयोग से नियुक्तियां रुकवाई थी। अब इसका श्रेय ले रही है।
यह है मामला
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल एक के लिए फरवरी 2018 में परीक्षा हुई। कुछ महीने बाद रिजल्ट आया लेकिन मई में मामला कोर्ट में चला गया। फिर 31 मई को हुई सुनवाई में कटऑफ, जिला आवंटन, दस्तावेज सत्यापन व स्कूल आवंटन की छूट मिली मगर नियुक्ति पर रोक रही। अक्टूबर में कोर्ट ने फैसला देते हुए याचिका खारिज की और नियुक्ति से रोक हटा ली। लेकिन तब तक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग चुकी थी। तत्कालीन सरकार ने नियुक्ति के लिए निर्वाचन आयोग के पास फाइल भी भेजी लेकिन कोई आदेश जारी होने से पहले ही मामला डबल बैंच में जा चुका था।
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल एक के लिए फरवरी 2018 में परीक्षा हुई। कुछ महीने बाद रिजल्ट आया लेकिन मई में मामला कोर्ट में चला गया। फिर 31 मई को हुई सुनवाई में कटऑफ, जिला आवंटन, दस्तावेज सत्यापन व स्कूल आवंटन की छूट मिली मगर नियुक्ति पर रोक रही। अक्टूबर में कोर्ट ने फैसला देते हुए याचिका खारिज की और नियुक्ति से रोक हटा ली। लेकिन तब तक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग चुकी थी। तत्कालीन सरकार ने नियुक्ति के लिए निर्वाचन आयोग के पास फाइल भी भेजी लेकिन कोई आदेश जारी होने से पहले ही मामला डबल बैंच में जा चुका था।