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राजस्थान: गहलोत सरकार में बेरोज़गार युवाओं को फिर झटका, अब 11 हज़ार पदों पर अटकी भर्ती

locationजयपुरPublished: Feb 11, 2020 08:22:30 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

गहलोत सरकार ( Ashok Gehlot Government ) में बेरोज़गार नौजवानों ( Rajasthan Unemployed Youth ) को फिर झटका लगा है। इस बार राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court ) ने नर्स ग्रेड द्वितीय ( Nurse Grade II ) और एएनएम भर्ती 2018 ( ANM 2018 ) पर अंतरिम रोक लगा दी है। इनमें कुल 11 हजार पदों पर भर्ती होनी है।

High court stays Recruitment on 11 thousand government seats
जयपुर।

गहलोत सरकार ( Ashok Gehlot Government ) में बेरोज़गार नौजवानों ( Rajasthan Unemployed Youth ) को फिर झटका लगा है। इस बार राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court ) ने नर्स ग्रेड द्वितीय ( Nurse Grade II ) और एएनएम भर्ती 2018 ( ANM 2018 ) पर अंतरिम रोक लगा दी है। इनमें कुल 11 हजार पदों पर भर्ती होनी है। एसटी, एससी वर्ग में आरक्षण प्रमाण पत्र के मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार से 17 फरवरी तक शपथ पत्र सहित जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक भी मौजूद रहे।

नर्स ग्रेड द्वितीय के लिए 30 मई 2018 को जारी विज्ञापन के जरिए 6035 पदों की भर्ती निकाली गई। इसमें लीलावती एवं सोनू वर्मा ने एसटी और एससी वर्ग से आवेदन किया। इनमें विवाह पश्चात के जारी जाति प्रमाण पत्र में पति का नाम था, जिसे विभाग ने मानने से इनकार कर दिया। जबकि काउंसलिंग के समय विवाह पूर्व का प्रमाण पत्र भी याचिकाकर्ताओं ने दिया था। इसके बावजूद याचिकाकर्ताओं को सामान्य वर्ग में रखते हुए चयन सूची से बाहर कर दिया गया।

राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के श्रेणीवार अंतिम चयन सूची में दर्ज अंक से ज्यादा नंबर हैं। वे राजस्थान मूल के निवासी हैं और इसी वजह से प्रमाणपत्र में पिता या पति के नाम के आधार पर अमान्य नहीं किया जा सकता। विवाह पूर्व और विवाह पश्चात उनकी श्रेणी में कोई परिवर्तन नहीं है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी ने कहा कि विज्ञापन में कहा गया था कि जाति प्रमाण पत्र पिता के नाम से होना चाहिए। जातिगत आरक्षण पिता के नाम से तय होता है। इसी वजह से याचिकाकर्ताओं को सामान्य वर्ग में शामिल किया गया है।

इसी तरह का विवाद एएनएम भर्ती 2018 में भी सामने आया। इसमें 4936 पदों पर भर्ती होनी है। न्यायाधीश एसपी शर्मा ने राज्य सरकार को आरक्षण के संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग की ओर से जारी परिपत्र, शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए।
सुनवाई के दौरान अदालत में पेश अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक ने बताया कि भर्ती विज्ञापन में पिता के नाम जारी जाति प्रमाण पत्र की शर्त दी गई है। इस संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कार्मिक विभाग ने भी परिपत्र जारी कर रखे हैं। एससी और एसटी के मामलों में पिता के नाम से ही जारी जाति प्रमाण पत्र को माना जाता है और उसी से अभ्यर्थी की जाति का सत्यापन होता है।

एससी/एसटी वर्ग में आवेदन
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने मई 2018 में नर्स ग्रेड द्वितीय के छह हजार 35 और एएनएम के 4965 पदों पर भर्ती निकाली थी। याचिकाकर्ताओं ने एसटी और एससी वर्ग में आवेदन किया और सफल रहे। याचिकाकर्ता की ओर से पति के नाम बने जाति प्रमाण पत्र भी पेश किए।

सामान्य वर्ग में माना
बाद में याचिकाकर्ता ने अपनी परिवेदना के साथ पिता के नाम बने जाति प्रमाण पत्र भी पेश किए। इसके बावजूद विभाग ने उनके जाति प्रमाण पत्रों को नहीं मानते हुए उन्हें सामान्य वर्ग में मानते हुए नियुक्ति से वंचित कर दिया। जबकि उनके अंक एसटी और एससी वर्ग की कट ऑफ से अधिक हैं। मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
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