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बदहाल व्यवस्था पर हाइकोर्ट का कड़ा रूख – शहरों में आवारा पशु-गड्ढे दिखे तो अधिकारियों को जेल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2018 06:23:17 am

Submitted by:

rajesh walia

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जयपुर

हाईकोर्ट ने राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में सड़कों को आवारा पशुओं व गड्ढों से मुक्त रखने के लिए तीन सप्ताह में सिस्टम विकसित करने को कहा है। साथ ही, अदालती आदेशों की पालना में ढिलाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौखिक टिप्पणी की है कि पालना नहीं हुई तो अधिकारियों को जेल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं है। पालना के लिए अंतिम मौका देते हुए सुनवाई 31 अगस्त दोपहर दो बजे तक टाल दी है।
सडक बनते ही गड्ढे की खबर
न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने आवारा पशु की टक्कर से विदेशी नागरिक की मौत पर स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के गोयल, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त वैभव गालरिया व जयपुर नगर निगम आयुक्त सुरेश ओला हाजिर हुए। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि अदालती आदेश की पालना जिस गति से की जा रही है, उससे तो लगता है कि पालना संभव नहीं है। नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी कहा कि सडक बनते ही गड्ढे की खबर आती रहती है। ठेकेदार आवारा पशु को पकड़ कर छोड़ देते हैं, इससे एक ही आवारा पशु को कई बार पकडऩे का पैसा देना पड़ता है। यह सरकारी धन की बर्बादी है।
कैसे दिलाओगे मुक्ति?
हाईकोर्ट ने अधिकारियों से तीन सप्ताह के भीतर यह बताने को कहा है कि आवारा पशुओं व सड़कों पर गड्ढे नजर नहीं आएं, इसके लिए क्या सिस्टम विकसित किया जाएगा? अब तक के अदालती आदेशों की पालना तुरन्त कराई जाए, जिससे हर शहर आवारा पशुओं व गड्ढों से मुक्त हो सके। कोर्ट ने इन आदेशों की पालना के लिए नीति व रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही, अब तक आए जवाब रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश दिए हैं। जयपुर विद्युत वितरण निगम ने जवाब दिया है कि गड्ढे तुरन्त भरे जा हैं, इसलिए यातायात पर कोई असर नहीं हो रहा है।
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