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जिला परिषद ने छह साल में लिपिक, शिक्षकों की भर्ती की थी। कुछ लोगों के अभिलेख फर्जी थे तो कुछ के अभ्यर्थियों ने साफ लिखित में अपनी सही सूचना दी थी। बावजूद इसके नौकरी दी गई। इस मामले (Alwar Crime) का खुलासा राजस्थान पत्रिका ने किया तो अधिकारियों ने जांच टीम बनाई। इस टीम में ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ के वरिष्ठ लेखाधिकारी हंसराम मीणा, जल संसाधन एक्सईएन केके यादव शामिल थे। इन्होंने अब तक एक भी रेकॉर्ड न देखा और न कब्जे में लिया जबकि इस मामले की जांच कर रही एसओजी यहां तक पहुंच गई। जिला परिषद अपने घर में जांच नहीं कर पाई जबकि जांच टीम बनाए माह बीत गया।
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जानकारों का कहना है कि इस मामले में दो लिपिक भी लिप्त हैं। यदि जांच हो गई तो उनकी नौकरी भी जाना तय है। यही कारण है कि उनकी सीट तक नहीं बदली गई। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नए सीईओ से उम्मीद है कि कार्रवाई होगी। अन्यथा यह मामला सरकार तक ले जाएंगे। जांच अधिकारी हंसराम मीणा का कहना है कि लिपिकों की हड़ताल के कारण जांच नहीं की।
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गुरुवार को प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि तीन साल से एक ही सीटों या विभागों में जमे लोगों को इधर-उधर किया जाए। एक ही सीट पर यह नहीं रहेंगे। इससे गड़बड़ी आदि की आशंका रहती हैं। बताते हैं कि सरकार के आदेशों का जिला परिषद के अफसर पालन करेंगे तो यहां भी पूरे जिले में 70 से ज्यादा लोगों की सीटें बदलेंगी। अकेले जिला परिषद में ही 15 से अधिक सीट बदल जाएंगी। मलाईदार सीटों पर जमे लोग अपनी से सिफारिश आदि लगाने में जुट गए हैं।