दिव्यांगों के अधिकार संरक्षण कानून-2016 के तहत दिव्यंग को बच्चे को उसके माता-पिता से अलग नहीं किया जा सकता। प्रार्थी अपने दिव्यांग बेटे और पूरे परिवार को जयपुर से जैसलमेर नहीं ले जा सकता और दिव्यांग बेटा जयपुर में अपने आप को एडजस्ट कर चुका है। यदि उसे जैसलमेर ले जाया गया तो उसकी सेहत पर विपरीत प्रभाव होगा। सरकार ने विरोध में कहा कि इस मामले में दिव्यांगों के अधिकार व संरक्षण कानून की धारा-९ लागू नहीं होती है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कहा है कि यह मामला अपवाद है और भले ही मामले के फैक्ट्स दिव्यांगों के अधिकार व संरक्षण कानून की धारा-९ के अनुसार नहीं हैं लेकिन,इस धारा की असल मंशा यही है कि दिव्यांग बच्चों को उनके माता-पिता से अलग ना किया जाए। प्रार्थी को पूरे परिवार सहित अपने दिव्यांग बेटे को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट करने के लिए कहने से धारा-९ की मंशा ही बेकार करना होगा। प्रार्थी की ओर से दायर प्रतिजवाब से भी साफ है कि जयपुर में दो पद रिक्त हैं। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए प्रार्थी का जयपुर से जैसलमेर ट्रांसफर रद्द कर दिया और उसे जयपुर जिले में पोस्टिंग देने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश नजीर के तौर पर नहीं माना जाएगा।