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HighCourt ने कहा : Rajasthan में Solar Wind Energy क्षेत्र में बड़े निवेश की संभावना, इसलिए उद्यमियों की समस्या का हो समाधान

locationजयपुरPublished: Dec 26, 2019 12:34:41 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

-सौर और पवन ऊर्जा प्लांट के पीपीए का मामला
-600 मेगावॉट क्षमता के हैं प्लांट
 

HighCourt ने कहा : Rajasthan में Solar  Wind Energy क्षेत्र में बड़े निवेश की संभावना, इसलिए उद्यमियों की समस्या का हो समाधान

HighCourt ने कहा : Rajasthan में Solar Wind Energy क्षेत्र में बड़े निवेश की संभावना, इसलिए उद्यमियों की समस्या का हो समाधान

जयपुर। राज्य में सौर और पवन ऊर्जा के 600 मेगावॉट क्षमता के प्लांट संचालन की नवीनीकरण प्रक्रिया अटकने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई है। हाईकोर्ट का सुझाव है कि सुनवाई में जो तथ्य सामने आए हैं, उसमें औद्योगिक नीति के जरिए अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश हो सकता है। राज्य में अक्षय ऊर्जा में निवेश के दायरे को बढ़ाने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मौजूदा याचिकाकर्ता उद्यमियों की समस्या का समाधान होना चाहिए। यह याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ राज्य हित में भी होगा। न्यायालय ने इस मामले को सुलझाने के लिए राज्य सरकार को एक उच्च स्तरीय कमेटी गठन के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी में याचिकाकर्ताओं के 10 प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। कमेटी समस्या समाधान की दिशा में काम करेगी। जिन अनुबंधित कंपनियों के रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट जारी होने बाकी हैं, कमेटी उस पर भी विचार करेगी। इनके बीच जो भी मंथन होगा, महाधिवक्ता को उसकी जानकारी 22 जनवरी को हाईकोर्ट को देनी होगी। महाधिवक्ता को इसके लिए शपथ पत्र भी देना होगा।
यूं चला मामला…
यह था एग्रीमेंट : सौर व पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निजी कंपनियों के स्तर पर 600 मेगावॉट क्षमता के प्लांट लगाए गए। सरकार ने बिजली खरीद अनुबंध किया। इसमें इंसेंटिव के तौर पर रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट देने का भी करार हुआ। एक प्लांट लगाने की लागत 8 से 10 करोड़ रुपए आई।
यूं चला सिलसिला : वर्ष 2013 में तीन वर्ष के लिए शुरुआती अनुबंध किया गया। इसके बाद वर्ष 2016 में आगे बढ़ाया जो मार्च 2019 में पूरा हुआ। इस दौरान इन प्लांटों से बनी बिजली सरकार खरीदती रही।

यहां लगा अडंगा : मार्च में एक्सटेंशन करने से मना किया। कपंनियां आयोेग के पास पहुंची और तर्क दिया कि प्लांट की लाइफ 25 साल की है और उसी आधार पर लागत लगाई गई, जबकि निगम 6 साल बाद ही एक्सटेंशन करने से मना कर दिया।
राहत के बाद भी लगाया अडंगा : आयोग ने निगम व कंपनियों का तर्क सुना। इसके बाद 5 मार्च के आदेश में अंकित है कि डिस्कॉम्स चाहे तो आगामी वर्षों के लिए भी एक्सटेंशन कर सकते हैं लेकिन डिस्कॉम्स ने ऐसा नहीं किया। बाद में मामला कोर्ट पहुंचा।
रिन्यूवेबल एनर्जी सर्टिफिकेट रोके..
1 हजार यूनिट पर 1 सर्टिफिकेट मिलता है, जिसे बाजार में बेचा जा सकता है। सौर ऊर्जा के तहत शुरुआत में एक सर्टिफिकेट की दर 9300 रुपए थी। 2015 में घटाकर 3500 रुपए और 2018 में 1 हजार रुपए कर दिया गया। हालांकि, इसकी समय सीमा भी खत्म होने वाली है। हाईकोर्ट ने इन सर्टिफिकेट मामले भी विचार करने के लिए कहा है।
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