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साइकिल दौड़ में भाग लेने का रहस्य जानकर रह जाओगे दंग, जानिए क्यूं लेता है साइकिल दौड़ में भाग?

locationजयपुरPublished: Sep 18, 2016 11:13:00 pm

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​babulal tak

प्रतियोगिता में जीतने पर मिलने वाली पुरस्कार राशि के रुपयों से पढ़ाई का कुछ तो खर्च चलेगा। पिता कृषक परिवार से हैं इतनी आमदनी नहीं होती कि घर का खर्च चलाने के बाद मेरी पढ़ाई पर भी खर्च कर सकें।

dayalram
 इसलिए वर्ष भर में होने वाली साइकिल दौड़ प्रतियोगिता का इंतजार भी रहता है। सिंगड़ निवासी दयालराम का कहना है कि उसे जीत को लेकर पूरा विश्वास रहता है, इसलिए कि जीतने पर जो पुरस्कार स्वरूप राशि मिलती है उससे मेरी पढ़ाई का कुछ भार तो कम होता है। दयालराम ने मुन्दियाड़ से खरनाल तक होने वाली साइकिल दौड़ में भाग लिया और वहां भी प्रथम विजेता का पुरस्कार प्राप्त किया। इसी प्रकार खरनाल से नागौर, कुम्हारी से बासनी व कुम्हारी से बासनी होते हुए नागौर साइकिल दौड़ में भाग लिया और यहां भी पुरस्कार राशि प्राप्त की। इस प्रकार कुल मिलाकर इन सभी प्रतियोगिताओं में जीतने पर करीब 9-10 हजार रुपए एकत्र हो जाते हैं जिनसे साल भर की पढ़ाई का कुछ खर्चा चल जाता है। रविवार को कुम्हारी गांव से बासनी होते हुए नागौर पहुंची साइकिल दौड़ में भी दयालराम के प्रथम स्थान प्राप्त करने पर नगर परिषद की ओर से सभापति कृपाराम सोलंकी द्वारा 51 रुपए नकद पुरस्कार राशि व प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया।
पिछले चार वर्षो से लेते आ रहे दौड़ में भाग

दयालराम ने बताया कि वो पिछले साल वर्षो से साइकिल दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेते अर रहे हैं। जिसमें उन्होंने तीन वर्ष तक प्रथम स्थान व एक बार दूसरा स्थान प्राप्त किया है। जब उनसे पूछा गया कि दौड़ में भाग लेने के लिए कितने दिनों से तैयारी में लग जाते हो इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दौड़ में भाग लेने के लिए किसी प्रकार की तैयारी नहीं करता। जब भी कभी गांव से बाहर जाना होता है तो साइकिल से ही सफर करता हूं। इससे शरीर भी स्वस्थ्य रहता है और साइकिल दौड़ की तैयारी भी हो जाती है। 
नागौर में किराए पर रहकर करता है पढ़ाई 

बीआर मिर्धा कॉलेज के बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र दयालराम ने बताया कि बीएससी अच्छे अंकों से पास करने के लिए प्राइवेट कोचिंग करनी पड़ती है। साथ ही इसके लिए नागौर में किराए पर कमरा लेकर रहता पड़ता है। घर में इनकम के क्या सोर्स हैं तो बताया कि पिता कृषि कार्य करते हैं, इतनी आमदनी नहीं होती कि घर का खर्च चलाने के बाद मेरी पढ़ाई पर ज्यादा खर्च कर सकें। बीएससी करने के बाद आगे क्या करोगे को लेकर पूछाने पर बताया कि वैसे तो आगे की पढ़ाई व कई अन्य कोर्सेज करना चाहता हूं लेकिन परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वो घर का खर्च चलाने के बाद मेरी पढ़ाई पर ज्यादा खर्च कर सकें। 
गांव अक्सर साइकिल पर जाता है, बस इससे ही जीत ली दौड़ 

दौड़ में भाग लेने के लिए पूर्व में किसी प्रकार तैयारियां नहीं करने की बात कहते हुए बताया कि गांव कहीं आना-जाना होता है तो साइकिल से सफर करता हूं, इसी में तैयारी हो जाती है। साइकिल में दौड़ लेने के पीछे सिर्फ यहीं उद्देश्य होता है कि पुरस्कार जो रुपए मिलेंगे उनसे अपनी पढ़ाई का कुछ भार तो कम कर सकूंगा। परिवार में भी सभी को विश्वास रहता है कि प्रतियोगिता में जीतकर पुरस्कार लेकर ही आऊंगा
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