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आनंदपाल मामले में दिए निर्देश की पालना क्यों नहीं?

locationजयपुरPublished: Jun 27, 2018 08:40:11 pm

Submitted by:

Shailendra Agarwal

-राज्य मानवाधिकार आयोग ने 6 दिन से अंतिम संस्कार नहीं होने पर एसीएस (गृह) व डीजीपी से मांगा स्पष्टीकरण

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राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने उदयपुर जिले के वागोता गांव में 6 दिन से शव का अंतिम संस्कार नहीं होने पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। दोनों अधिकारियों से यह बताने को कहा है कि आनंदपाल प्रकरण में निर्देश देने के बावजूद सरकार ने मौताणे की मांग करने वालों से अंतिम संस्कार को लेकर बात क्यों नहीं की? आयोग ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर यह आदेश दिया है। तथ्यों के अनुसार वागोता गांव का युवक दो दिन तक लापता रहा और अब शव मिल गया है तो पोस्टमार्टम के चार दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है। मौत के छह दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं होने से शव खुले में पड़ा है और दुर्गंध आने लगी है। इस मामले में पुलिस और परिजनों के बीच बातचीत का भी कोई नतीजा नहीं निकला है।
यह मांगा स्पष्टीकरण
आयोग अध्यक्ष प्रकाश टाटिया ने आदेश में कहा है कि आयोग आनंदपाल प्रकरण में अंतिम संस्कार को मानव शरीर का अधिकार माना जा चुका है, फिर अंतिम संस्कार बिना रखे शव के इस मामले में 12 जुलाई 2017 के उस आदेश की पालना क्यों नहीं कराई है? राज्य सरकार मौताणे के लिए कानून और नियम व विधि के अनुसार मांग करने वालों से बातचीत क्यों नहीं करती? इस मामले में जवाब के लिए आयोग ने कार्यवाही 30 अगस्त तक टाल दी है।
कोख से अंतिम संस्कार तक मानव अधिकार
राज्य मानवाधिकार आयोग ने 12 जुलाई 17 को आनंदपाल के मामले में कहा था कि जिंदा व्यक्ति ही नहीं, व्यक्ति के कोख में आने से ही मानव अधिकार शुरु हो जाते हैं और अंतिम संस्कार तक मानव अधिकार जिंदा रहते हैं। दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस अधिकार के लिए स्वयं संघर्ष नहीं कर सकता। ऐसे में मृतक के परिवारजन और सगे सम्बन्धी या सामाजिक संस्था अंतिम संस्कार करा सकते हैं और वे भी नहीं कराएं तो इसे पूरा कराना सरकार की जिम्मेदारी है। अंतिम क्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी कार्य के लिए मृत शरीर को नहीं रखा जा सकता, क्योंकि मानव शरीर कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है। आयोग ने यह दिशा निर्देश देते हुए सरकार से भी मृत शरीर का अंतिम संस्कार नहीं कराने के मामलों पर राज्य सरकार की नीति बताने को कहा था।
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