पशुपालन मंत्री सैनी ने बताया कि उन्हें पांच बत्ती स्थित बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय और प्रादेशिक पशु चिकित्सा जैविक इकाईए जामडोली की लंबे समय से शिकायतें प्राप्त हो रही थीं, जिसके आधार पर उन्होंने इन संस्थाओं का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि प्रादेशिक पशु चिकित्सा जैविक इकाई का कार्य पशुओं में लगने वाले गलघोंटू, लगंडा बुखार, फ्डक्या और भेड़माता जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए टीके बनाना है। लेकिन , पिछले 4 माह से प्रयोगशाला में वैक्सीन उत्पादन नहीं हो रहा था। जबकि, हर महीने लगभग 46 लाख रूपये का भुगतान स्टाफ के वेतन और भत्तों पर किया जा रहा था। साथ ही निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अधिकतर उत्पादन कक्षों पर ताले लगे थे और ताले खुलवाने पर सभी कक्षों में धूल की परतें जमी पाई।
उन्होंने लैब प्रभारी अतिरिक्त निदेशक डॉ सरिता यादव और वाशिंग एरिया प्रभारी उपनिदेशक डॉ रमेश गुप्ता को तुरंत प्रभाव से एपीओ करने के निर्देश दिए। उन्होंने पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के स्तर पर एक विशेषज्ञ दल का गठन कर 15 दिन में समूचे प्रकरण की जांच कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
पांच बत्ती स्थित बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय प्रभारी एपीओ
पांच बत्ती स्थित बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय प्रभारी एपीओ
पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने पांच बत्ती स्थित बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय का भी औचक निरीक्षण किया और यहां के प्रभारी डॉ राजेश शर्मा को एपीओ करने के निर्देश दिए। सैनी ने बताया कि यहां निरीक्षण करने पर परिसर में भारी गंदगी देखी गई। इसके साथ ही औषधि भंडार का निरीक्षण करने पर पाया गया कि अधिकतर दवाईयां कम एक्सपायरी डेट के नजदीक की हैं, जिनका उपयोग निकट भविष्य में संभव नहीं हैं।