प्रदेश में चीनी का कारोबार कुछ ही मंडियों में हो रहा है, बाकी व्यापार मंडी के बाहर होता है। सरकार के नियमों के अनुसार प्रदेश में मंडी टैक्स एक रुपए 60 पैसे प्रति सैंकड़ा है। मंडी व्यापारी तो यह टैक्स दे रहे हैं, लेकिन मंडी के बाहर जो काम हो रहा है। उनसे कर की वसूली नहीं हो पा रही है। कई व्यापारी चीनी पर कर बचाने के लिए उससे पताशा, मखाना, बूरा बनाने का दावा कर कर चोरी कर रहे है।
सरकार ने छूट खत्म की तो मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
मार्केटिंग बोर्ड के नियमों के अनुसार यदि दूसरे राज्य से प्रदेश में चीनी लाकर उसकी बीस दिन में खपत कर दी जाती है तो उस पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। इस नियम का कुछ व्यापारियों ने गलत फायदा उठाया तो मार्कंेङ्क्षटग बोर्ड ने इस बीस दिन की सीमा को खत्म कर टैक्स के नियम लागू कर दिए। इसके विरुद्ध व्यापारी कोर्ट में चले गए। 2005 के बाद से टैक्स का मामला ऐसा ही चलता रहा और सरकार को हर साल करीब सौ करोड़ रुपए टैक्स की चपत लगती रही। आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन व्यापारी नहीं जीत सके। अब सरकार के समक्ष समस्या यह खड़ी हो गई है कि आखिर वह करे तो क्या करे? चुनाव सिर पर है। ऐसे में वह इस टैक्स चोरी की वसूली करे या नहीं करे। इसी द्वंद में अफसर फंस गए हैं।
मार्केटिंग बोर्ड के नियमों के अनुसार यदि दूसरे राज्य से प्रदेश में चीनी लाकर उसकी बीस दिन में खपत कर दी जाती है तो उस पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। इस नियम का कुछ व्यापारियों ने गलत फायदा उठाया तो मार्कंेङ्क्षटग बोर्ड ने इस बीस दिन की सीमा को खत्म कर टैक्स के नियम लागू कर दिए। इसके विरुद्ध व्यापारी कोर्ट में चले गए। 2005 के बाद से टैक्स का मामला ऐसा ही चलता रहा और सरकार को हर साल करीब सौ करोड़ रुपए टैक्स की चपत लगती रही। आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन व्यापारी नहीं जीत सके। अब सरकार के समक्ष समस्या यह खड़ी हो गई है कि आखिर वह करे तो क्या करे? चुनाव सिर पर है। ऐसे में वह इस टैक्स चोरी की वसूली करे या नहीं करे। इसी द्वंद में अफसर फंस गए हैं।
यूं सुझाया नया रास्ता
कुछ समय पहले व्यापार संघों की कृषि मंत्री से इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी। इसमें यह सुझाव आया कि मंडी टैक्स कम कर दिया जाए, जिससे टैक्स चोरी रोकी जा सके। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता के मुताबिक इस समय चीनी पर लगने वाले मंडी टैक्स से सरकार को करीब 180 करोड़ रुपए आने चाहिए, लेकिन आते हैं मात्र 40 करोड़ रुपए। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि मंडी से ज्यादा मंडी के बाहर चीनी का काम होता है और सरकार उनसे टैक्स नहीं वसूल पा रही है। ऐसे में मंडी व्यापारियों पर ज्यादा मार पड़ रही है। सरकार को सभी से कर वसूल करना चाहिए। यदि सरकार समान रूप से कर वसूले और वर्तमान कर के मुकाबले कम कर वसूले तो कर की चोरी काफी हद तक रोकी जा सकती है। पुराने बकाया कर पर उन्होंने कहा कि सरकार को यह कर व्यापारियों से वसूल करना चाहिए।
कुछ समय पहले व्यापार संघों की कृषि मंत्री से इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी। इसमें यह सुझाव आया कि मंडी टैक्स कम कर दिया जाए, जिससे टैक्स चोरी रोकी जा सके। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता के मुताबिक इस समय चीनी पर लगने वाले मंडी टैक्स से सरकार को करीब 180 करोड़ रुपए आने चाहिए, लेकिन आते हैं मात्र 40 करोड़ रुपए। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि मंडी से ज्यादा मंडी के बाहर चीनी का काम होता है और सरकार उनसे टैक्स नहीं वसूल पा रही है। ऐसे में मंडी व्यापारियों पर ज्यादा मार पड़ रही है। सरकार को सभी से कर वसूल करना चाहिए। यदि सरकार समान रूप से कर वसूले और वर्तमान कर के मुकाबले कम कर वसूले तो कर की चोरी काफी हद तक रोकी जा सकती है। पुराने बकाया कर पर उन्होंने कहा कि सरकार को यह कर व्यापारियों से वसूल करना चाहिए।
कृषि मंत्री का बयान – चीनी व्यापारी सब जगह से हार गए है । कर चोरी जो भी की है वो तो उनको देनी ही चाहिए । व्यापार संघ की कर कम करने की माँग आयी है । उस पर अभी कोई निर्णय नहीं किया है ।
प्रभु लाल सैनी, कृषि मंत्री