इंसानों की तरह अलग-अलग आवाज ग्रीन का कहना है कि जिस तरह हर इंसान की आवाज अलग-अलग होती है, ठीक वैसे ही गायों की आवाज भी अलग-अलग होती है। इस शोध में ३३३ गायों की आवाज के नमूने लिए गए और उनका विश्लेषण किया। जिसके बाद शोधकर्ता इस निर्णय पर पहुंचे कि वैसे तो सभी जानवर आपस में बातें करते हैं, लेकिन गाये अधिक विस्तृत और अलग-अलग मूड के अनुसार दूसरी गायों से बातें करती हैं।
आदिकाल से ही हमारी संस्कृति में महत्व
गाय का आदिकाल से ही हमारी संस्कृति में महत्व रहा है। ऋग्वेद में गाय को अघन्या, यजुर्वेद में अनुपमेय, अथर्ववेद में संपदा का घर बताया है। वर्षों पहले भगवान महावीर ने भी कहा था कि गोरक्षा के बिना मानव रक्षा संभव नहीं है। महात्मा बुद्ध ने गाय को मनुष्य का परम मित्र बताया है। यही नहीं माना जाता है कि भारतीय गाय की रीढ़ में सूर्य केतु नामक नाड़ी सूर्य की किरणों से स्वर्णाक्षार ( केरोटिन) बनाती है। इतना ही नहीं गोबर व गो मूत्र रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है। गाय अपनी भावना बता सकती हैं, यह बात हमारे पूर्वज और आज हम पहले से ही मानते आ रहे हैं। अब साइंस ने बस इसपर मुहर लगा दी है। – अरविंद स्वामी, धर्म प्रचारक
गाय का आदिकाल से ही हमारी संस्कृति में महत्व रहा है। ऋग्वेद में गाय को अघन्या, यजुर्वेद में अनुपमेय, अथर्ववेद में संपदा का घर बताया है। वर्षों पहले भगवान महावीर ने भी कहा था कि गोरक्षा के बिना मानव रक्षा संभव नहीं है। महात्मा बुद्ध ने गाय को मनुष्य का परम मित्र बताया है। यही नहीं माना जाता है कि भारतीय गाय की रीढ़ में सूर्य केतु नामक नाड़ी सूर्य की किरणों से स्वर्णाक्षार ( केरोटिन) बनाती है। इतना ही नहीं गोबर व गो मूत्र रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है। गाय अपनी भावना बता सकती हैं, यह बात हमारे पूर्वज और आज हम पहले से ही मानते आ रहे हैं। अब साइंस ने बस इसपर मुहर लगा दी है। – अरविंद स्वामी, धर्म प्रचारक