आर्थिक क्षेत्र में रहेगी तेजी ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री के अनुसार नवसंवत्सर का स्थान इस वर्ष वैश्य के घर पर होने के कारण व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्र में तेजी देखने को मिलेगी। व्यापारियों के लिए अधिक लाभ और बेहतर जीवन शैली मिलेगी। मौसम में बदलाव भी देखने को मिलेगा। इस नवसंवत्सर में राजा और मंत्री के मध्य मित्रता की कमी के कारण सरकार कुछ कठोर कानून भी लाएगी। इस साल रोहिणी का निवास संधि में होने से खंडित वर्षा का योग बनेगा। प्रमादी नामक संवत के प्रभाव से कृषि के क्षेत्र में विकास देखने को मिलेगा।
यूं बनते हैं संवत्सर के राजा किसी भी नए संवत्सर में राजा का चयन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के वार के अनुसार होता है अर्थात इस दिन जो वार होता है उस वार के स्वामी को ही संवत का राजा माना जाता है। इसबार संवत्सर बुधवार से शुरू हो रहा है इसलिए संवत्सर के राजा बुध होंगे।
संवत्सर में होगा अधिकमास
हर तीन साल बाद संवत्सर में एक माह अधिमास का भी होता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते है। संवत्सर 2077 में अधिकमास होने से 12 बजाए 13 महीने होंगे। इसमें आश्विन के दो महीने होंगे। आश्विन माह 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक रहेगा। अधिकमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। यानी इसकी अवधि करीब दो माह रहेगी। इन दो माह में बीच की अवधि वाला एक माह का समय अधिमास रहेगा। इसके बाद जितने भी त्योहार आएंगे वे 10 से 15 दिन या इससे कुछ अधिक विलंब से आएंगे। दीपावली इस बार 14 नवंबर को होगी और देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को आएगी।