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पेट व इससे जुड़े अंगों के कैंसर में दी जाती है हाइपैक थैरेपी

locationजयपुरPublished: Jul 19, 2019 01:52:40 pm

Submitted by:

Divya Sharma

चौथी स्टेज के पेशेंट्स में यह तकनीक सर्जरी के साथ हो सकती है कारगर

पेट व इससे जुड़े अंगों के कैंसर में दी जाती है हाइपैक थैरेपी

पेट व इससे जुड़े अंगों के कैंसर में दी जाती है हाइपैक थैरेपी

पेट व इससे जुड़े अंगों के कैंसर में दी जाती है हाइपैक थैरेपी


ओवेरियन, लिवर, अपेेंडिक्स, पैन्क्रियाज, कोलोरेक्टल, गैस्ट्रिक आदि के अलावा पेट के कैंसर के लिए इन दिनों हाइपैक (हीटेड या हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी) कीमोथैरेपी को मददगार माना जा रहा है। कैंसर के ऐसे मरीज जो रोग की चौथी स्टेज से गुजर रहे हों ओर जिन्हें सामान्य कीमोथैरेपी से कोई आराम नहीं मिलता है, उनके लिए यह एक उम्मीद साबित हो रहा है। इस प्रकार के उपचार में सर्जरी और कीमोथैरेपी को एक साथ किया जाता है। जानें इसके बारे में एक्सपर्ट से –

* २०-३० प्रतिशत जीवनयापन बढ़ता चौथी स्टेज के रोगी में।
* ०१-१.५ लाख रुपए में होती है सर्जरी, सरकारी अस्पताल में


देखभाल है जरूरी
सर्जरी से पहले विशेषज्ञ मरीज की पुख्ता व पूरी जांच करते हैं जिसमें शरीर की इम्युनिटी के अलावा क्षमता को जांचा जाता है। रोगी किसी दवा या संक्रमण से सेंसिटिव न हो साथ ही हार्ट फंक्शन कैसा है, देखते हैं। रोगी को आराम की सलाह दी जाती है। पेट दर्द, खिंचाव, बुखार, ब्लीडिंग हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श की सलाह देते हैं। यह थैरेपी उन मरीजों को देते हैं जिनमें कैंसर पूरी तरह फैल चुका होता है। कई बार अंदरूनी अंगों में कैंसर खत्म करने के लिए कीमो व रेडिएशन थैरेपी नहीं दी जा सकती है तो वहां पर इस थैरेपी को देते हैं। साथ ही जिनमें किसी भी कैंसर के पुनरावृत्ति की आशंका होती है उनमें हाइपैक थैरेपी अपनाते हैं।

रोग के अनुसार दवा
कीमोथैरेपी की डोज रोग के अनुसार तय करते हैंै। हर बीमारी में दवा बदल दी जाती है। इसलिए उसी दवा को इंजेक्ट करने की बजाय तरल रूप में सीधे प्रभावित भाग में देते हैं।

ऐसे होती है सर्जरी
इ स तरह की सर्जरी में दवाओं को तय तापमान पर गर्म कर पेट की अंदरूनी दीवार में पहुंचाते हैं। इसके लिए पेट पर चीरा लगाकर दो कैथेटर डालते हैं। कैथेटर बाहरी रूप से एक मशीन से जुड़े होते हैं जिसमें गर्म दवा रखी होती है। इससे दवा पेट में मौजूद कंैसर सेल्स तक पहुंचकर उन्हें नष्ट करती है। फिर टांकें लगाकर चीरा बंद कर देते हैं।

एंडोस्कोपिक सर्जरी
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट पेट से जुड़े कैंसर में पहली स्टेज पर एंडोस्कोपिक सर्जरी करते हैं। माल्ट लिम्फोमा कैंसर एंटीबायोटिक्स से ठीक हो जाता है। वहीं एडवांस्ड स्टेज में रोगी को कैंसर रोग विशेषज्ञ के पास भेज देते हैं।

इलाज के लिए मदद भी
राज्य स्तर पर सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में हाइपेक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। सरकारी में जहां एक-डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं प्राइवेट में खर्च अलग अलग हो सकता है।
जटिलताओं की रहती आशंका
हालांकि हाइपैक सर्जरी आधुनिक है लेकिन इसमें भी कई जटिलताओं की आशंका रहती है। कीमोथैरेपी का प्रभाव स्वस्थ कोशिकाओं और अंगों पर भी पड़ता सकता है। ऐसे में जिनके लिए इलाज का कोई विकल्प नहीं है इस सर्जरी से २०-३० प्रतिशत सुलभ जीवनयापन बढ़ जाता है। वहीं उम्रदराज, कमजोर शारीरिक क्षमता, डायबिटिक, इम्युनोकॉम्प्रोमाइज, हार्ट पेशेंट या मल्टीपल रोगों से ग्रसित हो आदि के लिए यह सर्जरी सहीं नहीं।
डॉ. संदीप जसूजा

कैंसर रोग विशेषज्ञ, एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर

डॉ. संदीप पाण्डेय
कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट
रायपुर (छत्तीसगढ़)

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