अलवर में नीकच गांव अंतर्गत ताज खान के बास में पुराने बोरवेल की भराई के दौरान एक तीन वर्षीय बालक गिर गया था। जानकारी के अनुसार विजेन्द्र सिंह अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ घर के समीप स्थित पुराने बोरवेल को भरने का कार्य कर रहा था। इस दौरान बोरवेल के समीप खेल रहा एक तीन वर्षीय बालक हिमांशु अचानक बोरवेल में गिर गया। बालक के बोरवले में गिरते ही परिवार के लोगों ने शोर मचाया, जिस पर आसपास के लोग तुरंत घटना स्थल पर पहुंचे और बालक को बोरवेल से बाहर निकालने का प्रयास करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
जयपुर के भानपुरकलां गांव में कहावत- जा को राखे साईया मार सके न कोई.. तब चरितार्थ हो गई जब 180 फीट गहरे बोरवेल में गिरी दो साल की बच्ची को एक घंटे की मशक्कत के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। चिकित्सकों ने प्रारम्भिक उपचार और जांच के बाद उसे घर भेज दिया था।
जोधपुर के निकटवर्ती बींजवाडिय़ा गांव के फार्म हाउस में खेलते-खेलते सात सौ फीट गहरे बोरवेल में गिरने से दो साल की एक बच्ची नेहा की मौत हो गई थी। प्रशासनिक रेस्क्यू टीम के साथ गुजरात के डीसा से आई निजी टीम के सतरह घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद बच्ची को बचाया नहीं जा सका था। 692 फीट से बच्ची का क्षत-विक्षत शव बोरवेल से निकाला गया था। बच्ची मां के साथ अपने ननिहाल गई थी। बताया जा रहा है कि जोधपुर के बिंजवादिया गांव में बोरवेल की रिपेयरिंग चल रही थी जिसे खुदाई करके खुला छोड़ दिया गया था।
सीकर के आदर्श को भी निगल गया था बोरवेल- बोरवेल में करीब 15 फीट नीचे फंसे आदर्श को निकालने के लिए बोरवेल के पास जेसीबी से खुदाई शुरू की गई थी जिससे आदर्श और भी नीचे चला गया व बोरवेल में पानी की भी आवक हो गई। बाद में बोरवेल में सरिया डालकर आदर्श को बाहर निकाला और एम्बुलेंस से तुरंत नीमकाथाना के कपिल अस्पताल लाया गया यहां पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
दौसा के लालसोट में बिहारीपुरा गांव की नाड़ी मलवास ढाणी में बोरवेल में गिरी बच्ची को 12 घंटे बाद जिंदा निकाल लिया गया था। दो साल की ज्योति 200 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी और 60 फीट पर अटक गई थी। ग्रामीणों और प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए बोरवेल में रिंग डालकर बच्ची को ऊपर तो खींच लिया जिससे वह 15 फीट ऊपर आई, लेकिन तब तक रिंग टूट गई। इसके बाद बोरवेल के दोनों ओर से गड्डे खोदे भी खोदे गए। लेकिन अंतत: देसी जुगाड़ ही काम आया और बच्ची को जिंदा बाहर निकाल लिया गया।
सीकर के अजीतगढ़ में पांच साल की सुनीता बोरवेल में गिर गई थी। जिसे काफी मशक्कत से 32 घंटे बाद बाहर सकुशल बाहर निकाला गया। एनडीआरएफ और सेना की टीम सुनीता को 450 फीट गहरे बोरवेल से बाहर निकालने में कामयाब हुई थी। 32 घंटे तक जि़न्दगी और मौत की जंग जीतने वाली पांच साल की बालिका सुनीता को “प्रिंसेज ऑफ़ जेके लॉन” के नाम से नवाज़ा गया।
60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे दौसा के खटवा गांव की नाथ ढाणी का सात वर्षीय बालक मनीष योगी भाग्यशाली रहा, जिसकी ग्रामीणों की सूझबूझ से उसकी जान बच गई। बिना प्रशासन या पुलिस का इंतजार किए ग्रामीणों ने मात्र रस्सी और हथौड़े के सहारे मनीष को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। सात वर्षीय मनीष खेलते समय पैर फिसलने से घर के पास बने सूखे बोरवेल में गिर गया था। वह 60 फीट की गहराई पर जाकर फंस गया।
राजस्थान में चूरू जिले के तेलाप गांव में बोरवेल के पाइप में गिरा ढाई साल का बालक दफन हो गया। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने बालक की तलाश के लिए छह दिन तक अभियान चलाया और इसमें सेना की भी मदद ली गई, लेकिन बोरवेल में गिरे मासूम का पता नही चलने के कारण उसे निकालने के लिए शुरू किया गया बचाव अभियान बंद करना पड़ा। इस बालक को ढूंढने के लिए सेना ने बोरवेल में वाटरपु्र्र्रफ कैमरा भी पानी में डाला था लेकिन उसका कोई फोटो भी कैमरे में नहीं आया और आखिर सेना को भी बैरंग लौटना पड़ा था।
जोधपुर के खींवसर पुलिस थाना क्षेत्र की बिरलोका ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम हेमपुरा के एक खेत में चालू नलकूप में डेढ़ वर्षीय बच्ची गिर गई थी। बच्ची बीस फीट नीचे जाकर फंस गई। गनीमत रही कि परिजनों ने सूझबूझ से उसे जिन्दा बाहर निकाल लिया। ढाणी के पास ईशाराम सियाग की डेढ़ वर्षीय पुत्री मोनिका खेल रही थी। परिजन अपने काम में व्यस्त थे। मोनिका खेलते हुए चालू नलकूप के पास पहुंच गई। खेलते-खेलते वह नलकूप में गिर गई। नलकूप से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। बच्ची बोरवेल में बीस फीट नीचे फंसी थी।
राजस्थान के दौसा में एक खुले बोरवेल में चार साल की बच्ची अंजू खेलते- खेलते गिर गई थी। जिसे काफी जद्दोजहद के बाद को बचा लिया गया था।