आजादी के बाद से पहली बार ऐसी मार
पिछले 40 साल से गुलाल और रंग पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस बार यह जीएसटी के दायरे में आ गए और करीब 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। टैक्स से इसका उत्पादन के साथ बिक्री पर भी असर पड़ा है।
पिछले 40 साल से गुलाल और रंग पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस बार यह जीएसटी के दायरे में आ गए और करीब 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। टैक्स से इसका उत्पादन के साथ बिक्री पर भी असर पड़ा है।
मेकिंग से पैकिंग का प्रोसेस
करतारपुरा-सुदर्शनपुरा औद्योगिक क्षेत्र में गुलाल तैयार की जाती है। करीब दो माह पहले इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार होली के जल्दी आने का असर भी इस पर पड़ा है। सर्दी होने के कारण जितनी खपत होती है उस मात्रा में भी गुलाल तैयार नहीं हुई। जहां यहां एक फैक्ट्री में 800 के करीब गाड़ी माल की सप्लाई की जाती थी वह 600 ही रह गई है। एक अनुमान के मुताबिक जहां एक कट्टा थोक में 200 रुपए का आता था, वह अब 236 रुपए का आ रहा है। होली के त्योहार पर गुलाबी नगरी का गुलाल न केवल राजस्थान में बल्कि कई राज्यों में रंग बिखेरता है। यहां की गुलाल केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक जाती है। जयपुर की गुलाल देशभर में सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। होलीतक इसमें और तेजी आ जाती है।
करतारपुरा-सुदर्शनपुरा औद्योगिक क्षेत्र में गुलाल तैयार की जाती है। करीब दो माह पहले इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार होली के जल्दी आने का असर भी इस पर पड़ा है। सर्दी होने के कारण जितनी खपत होती है उस मात्रा में भी गुलाल तैयार नहीं हुई। जहां यहां एक फैक्ट्री में 800 के करीब गाड़ी माल की सप्लाई की जाती थी वह 600 ही रह गई है। एक अनुमान के मुताबिक जहां एक कट्टा थोक में 200 रुपए का आता था, वह अब 236 रुपए का आ रहा है। होली के त्योहार पर गुलाबी नगरी का गुलाल न केवल राजस्थान में बल्कि कई राज्यों में रंग बिखेरता है। यहां की गुलाल केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक जाती है। जयपुर की गुलाल देशभर में सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। होलीतक इसमें और तेजी आ जाती है।
ऐसे तैयार होता है गुलाल
गुलाल तैयार करने के लिए टेलकम डाई, नेचुरल डाई ऑक्साइड, कलर आदि को मिलाकर मशीन से मिलाया जाता है। इसके बाद इसको सुखाते हैं और तैयार गुलाल का पैकेट और कट्टों में डालकर सप्लाई किया जाता है। इसके साथ ही हर्बल गुलाल बनाने में सात दिन का समय लगता है। इसको तैयार करने के लिए पहले कलर किया जाता है फिर धूप में सुखाया जाता है और मशीनों से पीसकर उसमें खूशबू के लिए एसेंस मिलाकर तैयार किया जाता है।
गुलाल तैयार करने के लिए टेलकम डाई, नेचुरल डाई ऑक्साइड, कलर आदि को मिलाकर मशीन से मिलाया जाता है। इसके बाद इसको सुखाते हैं और तैयार गुलाल का पैकेट और कट्टों में डालकर सप्लाई किया जाता है। इसके साथ ही हर्बल गुलाल बनाने में सात दिन का समय लगता है। इसको तैयार करने के लिए पहले कलर किया जाता है फिर धूप में सुखाया जाता है और मशीनों से पीसकर उसमें खूशबू के लिए एसेंस मिलाकर तैयार किया जाता है।
30 प्रतिशत तक गिरावट 40 साल में इस बार भावों में सबसे तेजी देखी गई है। इसका मुख्य कारण जीएसटी है। इससे बाजार में गिरावट भी आई है। करीब 30 प्रतिशत तक ये गिरावट है। जीएसटी 18 प्रतिशत होने से तैयार माल का ही भाव बढ़ गया। इसका असर बाजार पर पड़ता है।
-मोहित, फैक्ट्री मालिक
-मोहित, फैक्ट्री मालिक