यह रही जमीनी हकीकत वार्ड 21: सुबह 8 बजे वैशालीनगर स्थित ई-ब्लॉक में घरों से निकलकर महिलाएं गाड़ी में कचरा डाल रही थीं। कचरा गाड़ी में 2 हिस्से तो थे लेकिन घरों से एक ही पात्र में कचरा लाया जा रहा था। कर्मचारी पूर्ववत कचरा ले रहे थे। गीला-सूखा कचरा अलग लेने की उन्हें जानकारी ही नहीं थी।
वार्ड 24: गाड़ी में कचरा डाला जा रहा था लेकिन गीला-सूखा अलग करने के बारे में किसी को पता नहीं था। वार्ड 84 व 87 : यहां न तो कचरा गाडिय़ां दिखीं, न लोगों को कचरा अलग-अलग डालने की जानकारी थी।
पार्षदों ने कहा गजानंद यादव (वार्ड 21) : मेरी जानकारी में नहीं है। रमेशलाल गुर्जर (वार्ड 24) : आज देखा नहीं, किसी ने बताया नहीं। कमल वाल्मीकि (वार्ड 35) : मैंने ही कचरा डाला, किसी ने दो डस्टबिन की चर्चा नहीं की।
महेशकुमार कलवानी (वार्ड 61) : सेठी कॉलानी में हुआ है। सुरेंद्र सिंह रॉबिन (वार्ड 84) : कुछ नहीं हुआ, किसी ने कोई जानकारी भी नहीं दी। महिलाओं ने कहा, हमें बताया ही नहीं
अंशुल अग्रवाल : मैंने तो पहले की तरह ही कचरा हूपर में डाला। किसी ने बताया ही नहीं कि गीला-सूखा कचरा अलग करना है। डॉ. सोनाली : गीला-सूखा कचरा अलग होना चाहिए लेकिन मेरे यहां तो किसी ने ऐसा कुछ बताया नहीं।
लालदेवी : मैंने रोजाना की तरह की गाड़ी में कचरा डाला, किसी ने कुछ नहीं कहा। पहले भी किसी ने नहीं बताया कि कचरा अलग-अलग डालना है।