हॉपर्स की मॉनिटरिंग के लिए कृषि विभाग की ओर से भी Rajkisan locust मोबाइल एप तैयार किया गया है। इस एप के जरिए नियंत्रण में लगे कर्मचारियों को हॉपर्स के निकलने की जानकारी पहले ही मिलेगी। जिससे इन पर नियंत्रण का कार्य आसान हो जाएगा। यह एप एन्ड्रॉयड मोबाइल पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकेगा।
फसल के लिए बड़ा खतरा हॉपर्स
आपको बता दें कि देश मानसून के प्रवेश के साथ जुलाई में टिड्डी ने अण्डे देने शुरू किए थे, जिससे अब हॉपर निकल आए थे। राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में हॉपर की भरमार हो गई थी। यहां 13 जिलों में लगभग प्रतिदिन हॉपर पर पेस्टीसाइड स्प्रे करके मारा गया। सर्वाधिक अण्डे बाड़मेर क्षेत्र में दिए साथ ही बीकानेर में अंडों की भरमार रही। प्रदेश में जैसलमेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, नागौर, पाली, सिरोही, जालोर, चूरू, सीकर, हनुमानगढ़ और झुंझनूं में हॉपर बैंड बन गए थे। अब यहां से हॉपर्स की समस्या का खात्मा हो चुका है। अगर समय रहते इन्हें खत्म नहीं किया गया तो आने वाले समय में वयस्क होकर फसल के लिए बड़ा खतरा साबित होते हैं। हॉपर्स 5 बार मॉल्टिंग कर वयस्क टिड्डी में तब्दील होते हैं। जब ये वयस्क होते हैं तो इनके पिछले पैर टकराने से ब्रेन में सीरोटीन नामक हॉर्मोन बनता है जिसकी वजह से ये झुंड में तब्दील हो जाते हैं। झुंड में तब्दील होने पर टिड्डियां ज्यादा तबाही मचाती हैं।