scriptमोबाइल एप की मदद से हॉपर्स नियंत्रण | Hoppers control with the help of mobile app | Patrika News

मोबाइल एप की मदद से हॉपर्स नियंत्रण

locationजयपुरPublished: Aug 29, 2020 01:24:34 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

कृषि विभाग, किसान और टिड्डी चेतावनी संगठन के लिए बना मददगारखत्म हुई हॉपर्स की समस्याएप के जरिए की गई हॉपर्स की मॉनिटरिंग

मोबाइल एप की मदद से हॉपर्स नियंत्रण

मोबाइल एप की मदद से हॉपर्स नियंत्रण


टिड्डियों के बाद पैदा उनके बच्चों यानी हॉपर्स का खात्मा करने में इस बार कृषि विभाग ने मोबाइल एप की मदद ली। विभाग का यह तरीका काफी कारगर रहा और प्रदेश के विभिन्न इलाकों में पैदा हुए हॉपर्स को इनकी मदद से खत्म किया गया। जी हां, कृषि विभाग और टिड्डी चेतावनी संगठन के पास कुछ ऐसे मोबाइल एप हैं जिनकी मदद से वह हॉपर्स की मॉनिटरिंग कर पाए। इन एप्स की मदद से अधिकारी इस बात का भी पता कर पाए कि कहां कितनी मात्रा में हॉपर्स निकल रहे हैं। जिससे उन्हें समाप्त करने में विभाग को आसानी हुई।
एप से मिली मॉनिटरिंग में मदद
टिड्डी चेतावनी संगठन के उपनिदेशक के एल गुर्जर के मुताबिक जैसलमेर, पाली, नागौर, बाड़मेर,जोधपुर, बीकानेर और चूरू आदि जिलों में बड़े स्तर पर हॉपर्स का प्रकोप था लेकिन अब उन्हें नियंत्रित कर लिया गया है। उनका कहना है कि हॉपर्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने में कई मोबाइल एप काफी कारगर साबित हुए। E locust 3M एप किसानों और अधिकारियों के लिए मददगार साबित हुए। कीटनाशक के छिड़काव के जरिए इन्हें नियंत्रित किया जा चुका है। वहीं और E locust Tablet विभागीय अधिकारियों के लिए फायदेमंद रहा। आपको बता दें कि इन एप्स के जरिए हॉपर्स की मॉनिटरिंग के साथ ही इनकी करंट लोकेशन, उनके विकसित होने की अवस्था और टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी मिल पाती है।
इस तरह होता है खात्मा
गुर्जर कहते हैं कि इन मोबाइल एप के जरिए जैसे ही हमें हॉपर्स की लोकेशन के बारे में पता चलता था। बारे में पता चला तुरंत उनके खात्मे की प्रक्रिया अपनाई गई। जहां भी हॉपर्स नजर आए, वहां तत्काल कीटनाशक का छिड़काव कर उन्हें खत्म कर दिया गया। इन्हें मारने के लिए इसके लिए क्लोरोपाइरीफॉस, लेम्बडासाइहेलोथ्रिन और मैलाथियान आदि कीटनाशकों को काम में लिया गया। हॉपर्स के पंख नहीं होते इसलिए वह उड़ नहीं पाते ऐसे में उन्हें खत्म करना भी आसान ही रहा।
Rajkisan locust मोबाइल एप तैयार
हॉपर्स की मॉनिटरिंग के लिए कृषि विभाग की ओर से भी Rajkisan locust मोबाइल एप तैयार किया गया है। इस एप के जरिए नियंत्रण में लगे कर्मचारियों को हॉपर्स के निकलने की जानकारी पहले ही मिलेगी। जिससे इन पर नियंत्रण का कार्य आसान हो जाएगा। यह एप एन्ड्रॉयड मोबाइल पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकेगा।
फसल के लिए बड़ा खतरा हॉपर्स
आपको बता दें कि देश मानसून के प्रवेश के साथ जुलाई में टिड्डी ने अण्डे देने शुरू किए थे, जिससे अब हॉपर निकल आए थे। राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में हॉपर की भरमार हो गई थी। यहां 13 जिलों में लगभग प्रतिदिन हॉपर पर पेस्टीसाइड स्प्रे करके मारा गया। सर्वाधिक अण्डे बाड़मेर क्षेत्र में दिए साथ ही बीकानेर में अंडों की भरमार रही। प्रदेश में जैसलमेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, नागौर, पाली, सिरोही, जालोर, चूरू, सीकर, हनुमानगढ़ और झुंझनूं में हॉपर बैंड बन गए थे। अब यहां से हॉपर्स की समस्या का खात्मा हो चुका है। अगर समय रहते इन्हें खत्म नहीं किया गया तो आने वाले समय में वयस्क होकर फसल के लिए बड़ा खतरा साबित होते हैं। हॉपर्स 5 बार मॉल्टिंग कर वयस्क टिड्डी में तब्दील होते हैं। जब ये वयस्क होते हैं तो इनके पिछले पैर टकराने से ब्रेन में सीरोटीन नामक हॉर्मोन बनता है जिसकी वजह से ये झुंड में तब्दील हो जाते हैं। झुंड में तब्दील होने पर टिड्डियां ज्यादा तबाही मचाती हैं।
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