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नाम का ही रह गया ‘जननी सुरक्षा केंद्र’

locationजयपुरPublished: Apr 17, 2018 12:59:21 pm

Submitted by:

Deendayal Koli

तैनात चिकित्सक सिजेरियन प्रशिक्षित नहीं होने के कारण केस हो जाते हैं रैफर

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जयपुर

बस्सी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जयपुर जिले का सबसे बड़ा जननी सुरक्षा केंद्र तो बना दिया गया फिर भी प्रसूताओं को सिजेरियन व अन्य सुविधाओं के अभाव में जयपुर रैफर कर दिया जाता है। यहां करीब बीस वर्ष से संसाधन युक्त ऑपरेशन थियेटर है लेकिन ऑपरेशन थियेटर होने के बावजूद बस्सी अस्पताल में आने वाले प्रसूताओं को जयपुर रैफर कर दिया जाता है। इसका बड़ा कारण यहां तैनात चिकित्सक सिजेरियन में अप्रशिक्षित है वो सीधे प्रसूताओं को जयपुर के लिए रैफर कर देते हैं।
जानकारी के अनुसार बस्सी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिमाह चार सौ से पांच सौ प्रसव होते हैं। प्रतिदिन 200 प्रसूताएं अपनी जांच के लिए अस्पताल आती हैं। यहां सारी सुविधाएं होने के बाद इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिजेरियन का अभाव है। यहां औचक निरीक्षण पर आए चिकित्सा मंत्री की फटकार के बाद ऑपरेशन थियेटर शुरू किया गया था और करीब आधा दर्जन प्रसूताओं की सिजेरियन भी किए गए थे। लेकिन प्रसूताओं के सिजेरियन के अभाव मे हालत बदतर हो गए हैं जिसकी वजह से यहां सिजेरियन बिल्कुल बंद कर दिया है।
वहीं अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्व में यहां सांगानेर स्थित एनेस्थिया डॉक्टर को तीन रोज बस्सी व तीन रोज सांगानेर के लिए लगाया गया था लेकिन यहां सिजेरियन नहीं होने के कारण उसे हटा दिया गया।
प्रतिमाह होती है तीन सौ से चार सौ डिलेवरी

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि प्रतिमाह तीन सौ से चार सौ प्रसव होते हैं और प्रतिदिन दो सौ से ज्यादा प्रसूताएं अपनी जांच के लिए आती हैं जिनकी जांच की जाती है। ज्यादातर प्रसूताएं ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं। यहां प्रसूताओं के सामान्य प्रसव तो करा दिए जाते हैं लेकिन जटिल प्रसव के लिए जयपुर की राह दिखा दी जाती है।
सबसे बड़ा है ऑपरेशन थियेटर

बस्सी सीएचसी में सबसे बड़ा ऑपरेशन थियेटर है जो सभी संशाधन युक्त है। यहां केवल परिवार नियोजन के ऑपरेशन किए जाते हैं। कभी-कभार हड्डी रोग विशेषज्ञ इस थियेटर को काम में लेते हैं लेकिन प्रसूताओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
चिकित्सा मंत्री भी लगा चुके हैं फटकार

चिकित्सा मंत्री की फ टकार के बाद ऑपरेशन थियेटर शुरू किया गया था लेकिन आधा दर्जन प्रसूताओं की सिजेरियन से प्रसव कराकर इतिश्री कर ली। जिसके बाद प्रसूताओं को जटिल प्रसव के लिए जयपुर कूच करना पड़ता है या निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है।
अस्पताल मे एनेस्थिया डॉक्टर नहीं होने के कारण सिजेरियन नहीं किया जा रहा है। एनेस्थिया डॉक्टर को 21 माह के प्रशिक्षण के लिए लगाया हुआ है जिस पर न्यायालय ने रोक लगा दी है। – डॉ. दिनेश मित्तल, सीएचसी प्रभारी व स्त्री रोग विशेषज्ञ
अस्पताल में सिजेरियन होने चाहिए इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। एनेस्थिया डॉक्टर की व्यवस्था सुचारू करवा दी जाएगी। – डॉ. प्रवीण असवाल, सीएमएचओ, जयपुर

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