पिछले दिनों यह विवाद शुरू होने के बाद सरकार ने दावा किया था कि भुगतान विवाद समाप्त हो गया है और 25 में से 5 करोड़ रुपए दे दिए हैं। शेष राशि भी एक दो दिन में जारी करने का दावा किया गया था, लेकिन सोमवार तक भी अस्पतालों ने इस योजना के तहत उपचार शुरू नहीं किया। गौरतलब है कि बीमा कंपनी से सरकार का अनुबंध इसी सप्ताह पूरा हो जाएगा। उसके बाद योजना नए स्वरूप में नई कंपनी के जरिए संचालित की जाएगी।
900 ने बंद किया था, 250 वापस लौटे
प्रदेश में 1056 निजी अस्पताल इस योजना के तहत उपचार के लिए चिह्नित हैं। भुगतान विवाद के बाद 900 ने काम बंद कर दिया। सरकार के आश्वासन के बाद करीब 250 निजी अस्पतालों ने काम वापस शुरू कर दिया, लेकिन निजी अस्पतालों का दावा है कि अभी तक भी 650 निजी अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं। इन अस्पतालों का कहना है कि सरकार उनका स्वीकृत पैसा दिलाए। इससे करीब 10 लाख मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश में 1056 निजी अस्पताल इस योजना के तहत उपचार के लिए चिह्नित हैं। भुगतान विवाद के बाद 900 ने काम बंद कर दिया। सरकार के आश्वासन के बाद करीब 250 निजी अस्पतालों ने काम वापस शुरू कर दिया, लेकिन निजी अस्पतालों का दावा है कि अभी तक भी 650 निजी अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं। इन अस्पतालों का कहना है कि सरकार उनका स्वीकृत पैसा दिलाए। इससे करीब 10 लाख मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह बढ़ा विवाद निजी अस्पतालों का आरोप है कि करीब 6 महीने से बीमा कंपनी भुगतान में अनियमितता दिखा रही है। करीब तीन-चार माह से मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद खाली पड़ा है, इससे बीमा कंपनी ने भुगतान की प्रक्रिया को धीमा कर दिया। जिसके कारण करीब 80 हजार अपील लंबित हो चुकी हैं।
वर्जन… अधिकांश निजी अस्पतालों में उपचार जारी है, जिनमें उपचार नहीं हो रहा है, उनकी जानकारी एकत्र करवाएंगे। योजना नए स्वरूप में जल्द आने वाली है। रोहित कुमार सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग