scriptथार से अब मुंह मोडऩे लगा तिलोर | Houbara bustard now turning his face from Thar | Patrika News

थार से अब मुंह मोडऩे लगा तिलोर

locationजयपुरPublished: May 28, 2020 12:55:16 am

Submitted by:

sanjay kaushik

राजस्थान सीमांत जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले में ( Border Districts of Rajasthan ) घास के मैदान ( Meadows ) एवं आश्रय स्थल ( Shelters ) नष्ट होने ( Destroyed ) से सीमा पार से पहुंचने वाला तिलोर पक्षी (हुबारा बस्टर्ड) अब थार से मुंह मोडऩे लगा ( Turned Face from Thar ) है। ( Jaipur News )

थार से अब मुंह मोडऩे लगा तिलोर

थार से अब मुंह मोडऩे लगा तिलोर

-सरहदी क्षेत्रों में सर्वाधिक प्रवास पर आते थे तिलोर

-सेवन घास के मैदान खत्म होना बना कारण

-प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाता

जैसलमेर। राजस्थान सीमांत जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले में ( Border Districts of Rajasthan ) घास के मैदान ( Meadows ) एवं आश्रय स्थल ( Shelters ) नष्ट होने ( Destroyed ) से सीमा पार से पहुंचने वाला तिलोर पक्षी (हुबारा बस्टर्ड) अब थार से मुंह मोडऩे लगा ( Turned Face from Thar ) है। ( Jaipur News ) कोयंबटूर स्थित सालिम अली इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री की ओर से भारतीय मरुस्थल पर किए गए शोध के मुताबिक थार में तिलोर की संख्या लगातार कम हो रही है।
-घास के मैदानों में प्रजनन

तिलोर घास के मैदानों में प्रजनन करते हैं। सरहदी क्षेत्रों में सेवन घास वाले इलाकों में सर्वाधिक तिलोर प्रवास पर आते थे। अब सेवन घास के मैदान लगभग खत्म हो जाने से तिलोर आना बंद हो गए, तिलोर को प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थान नहीं मिलने के कारण तिलोर ने थार से मुंह मोड़ लिया।
-बचे तिलोर शिकारियों के हो रहे शिकार

पाकिस्तान सीमा से लगे राज्य के जैसलमेर बाड़मेर और जोधपुर जिले के कुछ इलाकों में मवेशियों की संख्या बढऩे और चारागाह कम होने से सीमा पार से आने वाले तिलोर अब नजर नहीं आते। हालांकि सरहदी गांवों में कुछ स्थानों पर तिलोर देखे जा सकते है। थोड़े बहुत बचे तिलोर शिकारियों के शिकार हो रहे हैं। जैसलमेर के तालरो (पथरीले इलाको ) में भी तिलोर बड़ी तादाद में आते थे, लेकिन सबसे ज्यादा सेवन घास वाले इलाकों में आते रहे हैं।
-स्थानीय भाषा में नाम गट्टा

पक्षी विशेषज्ञ डॉ. नारायण ङ्क्षसह सोलंकी ने कहा कि पहले बाड़मेर के आस-पास के इलाकों तिलोर अक्सर दिखाई दे जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कभी-कभार दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जरूर कुछ तिलोर देखे जाते हैं। बरसात के मौसम में थोड़े बहुत तिलोर देखे जा सकते हैं। जैसलमेर मे तिलोर को स्थानीय भाषा में गट्टा कहा जाता हैं और स्थानीय लोग अक्सर इसका शिकार करने घास के मैदानों और पानी के तालाबों पर जाते थे। अस्सी के दशक तक बड़ी तादाद में तिलोर सरहद पर देखे जाते थे, लेकिन बड़ी तादाद में शिकार भी होता था।
-बलूचिस्तान में बड़ा प्रजनन केंद्र

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में इनका प्रजनन केंद्र हैं, बलूचिस्तान से ये जैसलमेर एवं बाड़मेर की सरहदी क्षेत्रों में सेवन घास के मैदानों में प्रवास पर आते थे। उल्लेखनीय है कि गत अप्रेल में जैसलमेर के नाचना क्षेत्र के बाहला गांव में सीमा सुरक्षा बल ने ट्रांसमिट लगा तिलोर पकड़ा था। बाद में उसे जोधपुर स्थित मचिया सफारी पार्क में भिजवाया गया जहां वह सुरक्षित हैं। यह तिलोर सीमा पार पाकिस्तान से आया था।
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