आपको बता दें कि राज्य में मुख्य रूप से मेहंदी, चौला, ग्वार, मोठ, धनियां, लहसून, ईसबगोल, जीरा, ग्वारपाठा, अरण्डी के साथ ही कुछ अन्य वनोपज की खेती भी किसान करते हैं। लेकिन इन फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं की जाती है। इस कारण किसानों को इन उपजों को बाजार की मर्जी के हिसाब से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। राज्य के किसान संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि किसानों से इन उपजों की खरीद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि सरकार को सभी उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में लाना चाहिए ताकि किसानों को अपनी गाढ़ी मेहनत का न्यूनतम समर्थन मूल्य कम से कम मिल सके। आपको बता दें कि अभी राज्य में रबी और खरीफ की कुछ फसलों की खरीद ही किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। रबी की फसलों में गेहूं, चना और सरसों शामिल हैं जबकि खरीफ की फसल में मूंग, उड़द, सोयाबीन, मक्का, मूंगफली, बाजरा और कपास की खरीद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है।
सरकार का यह कहना
उधर, इस मामले में प्रदेश के कृषि विभाग का यह कहना है कि जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार निर्धारित नहीं ही नहीं करती है, उन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं की जाती है। भारत सरकार की ओर से निर्धारित मापदण्ड के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण की योग्यता के लिए कृषि जीन्सों का सेल्फ लाईफ पर्याप्त होना, इसका व्यापक एवं सामूहिक रूप से उपयोग होना तथा इसका पोषण सुरक्षा में सम्मिलित होना अपेक्षित है। इसके अतिरिक्त जिन फसलों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से कम नहीं होता है, उन फसलों की भी समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं कराई जाती है। राजस्थान में होने वाली ऐसी मुख्य फसलें जिनका समर्थन मूल्य भारत सरकार ने निर्धारित नहीं किया हुआ है, उनमें इनमें मुख्य रूप से मेहंदी, चौला, ग्वार, मोठ, धनियां, लहसून, ईसबगोल, जीरा, ग्वारपाठा, अरण्डी व कुछ वनोपज इत्यादि शामिल हैं।
उधर, इस मामले में प्रदेश के कृषि विभाग का यह कहना है कि जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार निर्धारित नहीं ही नहीं करती है, उन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं की जाती है। भारत सरकार की ओर से निर्धारित मापदण्ड के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण की योग्यता के लिए कृषि जीन्सों का सेल्फ लाईफ पर्याप्त होना, इसका व्यापक एवं सामूहिक रूप से उपयोग होना तथा इसका पोषण सुरक्षा में सम्मिलित होना अपेक्षित है। इसके अतिरिक्त जिन फसलों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से कम नहीं होता है, उन फसलों की भी समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं कराई जाती है। राजस्थान में होने वाली ऐसी मुख्य फसलें जिनका समर्थन मूल्य भारत सरकार ने निर्धारित नहीं किया हुआ है, उनमें इनमें मुख्य रूप से मेहंदी, चौला, ग्वार, मोठ, धनियां, लहसून, ईसबगोल, जीरा, ग्वारपाठा, अरण्डी व कुछ वनोपज इत्यादि शामिल हैं।