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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कैसे जयपुर मेट्रो फेज—2 को बना दिया खेल, अब तीसरी बार क्यों होगा डीपीआर में बदलाव, जानिए

locationजयपुरPublished: Jul 19, 2019 01:19:39 pm

Submitted by:

Pawan kumar

— 2012 में कांग्रेस सरकारcongress govt की डीपीआर को भाजपा सरकारbjp goverment ने 2014 में बदला, अब 2019 में गहलोत सरकारgahlot goverment फिर से बदलेगी मेट्रो फेज—2 jaipur metroकी डीपीआरdpr
 

jaipur metro

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जयपुर। राजनीतिक दलों की ठसक पॉलिटिक्स किस तरह से जनता के सपनों और जेब पर भारी पड़ती है। इसकी बानगी देखी जा सकती है जयपुर मेट्रो फेज—2 jaipur metro o phase-2में। तत्कालीन गहलोत सरकार Cm ashok gahlot ने 2012 में पहली बार मेट्रो फेज—2 की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करवाई। इसके बाद 2014 में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे vasundhara rajeसरकार ने गहलोत सरकार की बनवाई डीपीआर को बदलकर नई डीपीआर तैयार करवाई। अब राज्य की गहलोत सरकार ने 2014 में बनी डीपीआर को रिजेक्ट कर मेट्रो फेज—2 की नई डीपीआर बनवाने की तैयारी कर ली है। यानी जब भी प्रदेश में सरकार बदली है जयपुर मेट्रो की डीपीआर बदली है।
नवम्बर तक बनेगी नई डीपीआर
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने जयपुर मेट्रो फेज—2 प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग मांगा है। जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (जेएमआरसी) ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को भेजी है। जेएमआरसी अधिकारियों की मानें तो नवम्बर 2019 तक नई डीपीआर बनकर तैयार हो जाएगी। नई डीपीआर में पब्लिक डिमांड और टोंक रोड पर फुटफॉल को ध्यान में रखते हुए मेट्रो फेज—2 का नए रूट में बदलाव किया सकता है।

निजी निवेश से मिली थी निराशा
राज्य सरकार ने देश के कई शहरों में पीपीपी मोड पर मेट्रो संचालन के कटु अनुभवों को देखते हुए खुद ही मेट्रो फेज—2 का काम आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। जयपुर मेट्रो फेज—2 में 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी, तो 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार से ली जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भिजवा दिया है। पूर्ववर्ती वंसुधरा राजे सरकार ने जयपुर मेट्रो के फेज—2 में निवेश के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया। सरकार के बुलावे पर चीन, अमेरिका, सिंगापुर, कोरिया और मलेशिया की रेल कंपनियों के प्रतिनिधि जयपुर दौरे पर आए। निवेशक कंपनियों के प्रतिनिधियों ने जयपुर मेट्रो प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन देखा। साथ ही मानसरोवर से चांदपोल तक जयपुर मेट्रो में सफर भी किया। सिंगापुर singaporeकी कंपनी के प्रतिनिधि तो दो बार जयपुर आए। लेकिन प्रोजेक्ट की 10,300 करोड़ की भारी भरकम लागत को देखते हुए विदेशी कंपनियों ने निवेश से हाथ खींच लिए।
भाजपा सरकार ने अम्बावाड़ी से सीतापुरा तक किया था मेट्रो रूट
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय जेएमआरसी ने फ्रांस franceकी कंपनी एजिस रेल agis rail से सर्वे रिपोर्ट तैयार करवाई। जिसमें एजिस रेल ने मेट्रो फेज—2 रूट की लम्बाई 23.8 किमी से ज्यादा करने का सुझाव दिया। रिपोर्ट में मेट्रो का रूट अम्बावाड़ी से सीतापुरा से आगे वाटिका मोड़ तक करने का सुझाव दिया गया। जयपुर मेट्रो के लिए टोंक रोड पर ज्यादा यात्रीभार को देखते हुए इसका मुख्य रूट टोंक रोड पर ही तय किया गया। साथ ही जेएलएन रोड jln roadपर एयरपोर्ट jaipur airportको देखते हुए टोंक रोड से जेएलएन रोड पर बीआरटीएस brtsकी तर्ज पर मेट्रो का अलग से रूट बनाने का प्रपोजल भी शामिल था। जेएलएन रोड पर अलग से रूट बनाने पर मेट्रो का अंडरग्राउंड स्टेशन स्टेट हैंगर state hangerकी पार्किंग वाली जगह पर प्रस्तावित है।

ये है 2012 में बनी मेट्रो फेज—2 डीपीआर

अनुमानित लागत — 6,583 करोड़
लम्बाई — 23.099 किमी
अंडरग्राउंड हिस्सा — 5.095 किमी
एलिवेटेड हिस्सा — 18.04 किमी
कुल स्टेशन — 20
अंडरग्राउंड स्टेशन — 05
एलिवेटेड स्टेशन — 15

2014 में संशोधित मेट्रो फेज—2 डीपीआर

अनुमानित लागत — 10,300 करोड़
लम्बाई — 23.8 किमी
एलिवेटेड हिस्सा — 13.808 किमी
अंडरग्राउंड हिस्सा — 9.963 किमी
कुल स्टेशन — 20
अंडरग्राउंड स्टेशन — 07
एलिवेटेड स्टेशन — 13

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