जयपुर। केन्द्र सरकार भले ही कितने दावे कर ले कि डायनामिक प्राइसिंग के बाद पेट्रोल—डीजल की कीमतें तय करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है। लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव से कैराना उपचुनाव तक तेल की धार बदल गई है। भाजपा की जीत ने पेट्रोल—डीजल को महंगा कर दिया था, तो हार ने सस्ता। जबकि कर्नाटक चुनाव से पहले एक पखवाड़े तक भाव स्थिर रहे यानी ना सस्ता ना महंगा।
यूं दिखे, सरकार के 3 रंग
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से एक पखवाड़ा पहले मई महीने की शुरूआत से ही पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ना बंद हो गई। कर्नाटक चुनाव में मतदान के एक दिन बाद ही 14 मई को पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ना शुरू हो गईं। कर्नाटक में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी उसके बाद 14 मई से 30 मई के बीच पखवाड़ेभर में पेट्रोल 3.89 रूपए और डीजल 3.53 रूपए प्रति लीटर महंगा हो गया। लेकिन कैराना लोकसभा क्षेत्र सहित अन्य सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा की हार के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी आना शुरू हो गई। 31 मई से 14 जून तक के पखवाड़े में पेट्रोल 2.04 रूपए और डीजल 1.52 रूपए प्रति लीटर सस्ता हो गया है। आज जयपुर में पेट्रोल 79.17 रूपए और डीजल 72.26 रूपए प्रति लीटर मिल रहा है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से एक पखवाड़ा पहले मई महीने की शुरूआत से ही पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ना बंद हो गई। कर्नाटक चुनाव में मतदान के एक दिन बाद ही 14 मई को पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ना शुरू हो गईं। कर्नाटक में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी उसके बाद 14 मई से 30 मई के बीच पखवाड़ेभर में पेट्रोल 3.89 रूपए और डीजल 3.53 रूपए प्रति लीटर महंगा हो गया। लेकिन कैराना लोकसभा क्षेत्र सहित अन्य सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा की हार के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी आना शुरू हो गई। 31 मई से 14 जून तक के पखवाड़े में पेट्रोल 2.04 रूपए और डीजल 1.52 रूपए प्रति लीटर सस्ता हो गया है। आज जयपुर में पेट्रोल 79.17 रूपए और डीजल 72.26 रूपए प्रति लीटर मिल रहा है।
भाजपा की जीत से बढ़े दाम, हार से घटे
मई के पहले सप्ताह से लेकर जून के दूसरे सप्ताह तक के बीते 3 पखवाड़ों में देश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले। जिनका सीधा असर पेट्रोल—डीजल की कीमतों पर दिखा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी के रूप में उभरी और एकबारगी अपना मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब रही उसके बाद पेट्रोल—डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ गईं। लेकिन जैसे ही कैराना लोकसभा सहित अन्य उप चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, उसके बाद पेट्रोल—डीजल के दाम कम होना शुरू हो गए। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें तय करने में कोई भूमिका नहीं होेने के सरकार के तमाम दावों के बावजूद तथ्य हकीकत को बयां कर रहे हैं। जैसे ही लोगों ने वोट की चोट से पेट्रोल—डीजल की बढ़ी कीमतों पर गुस्सा जाहिर किया, दाम तुरंत घटने लग गए।
मई के पहले सप्ताह से लेकर जून के दूसरे सप्ताह तक के बीते 3 पखवाड़ों में देश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले। जिनका सीधा असर पेट्रोल—डीजल की कीमतों पर दिखा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी के रूप में उभरी और एकबारगी अपना मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब रही उसके बाद पेट्रोल—डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ गईं। लेकिन जैसे ही कैराना लोकसभा सहित अन्य उप चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, उसके बाद पेट्रोल—डीजल के दाम कम होना शुरू हो गए। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें तय करने में कोई भूमिका नहीं होेने के सरकार के तमाम दावों के बावजूद तथ्य हकीकत को बयां कर रहे हैं। जैसे ही लोगों ने वोट की चोट से पेट्रोल—डीजल की बढ़ी कीमतों पर गुस्सा जाहिर किया, दाम तुरंत घटने लग गए।