बीते कुछ दशकों में इस पहेली ने करोड़़ों लोगों की बुद्धिमानी की परीक्षा ली है। लेकिन यह बेहद बुद्धिमान आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस मशीनों के लिए बहुत कठिन चुनौती नहीं हैं। बीते सप्ताह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने बताया कि उनकी टीम ने एक ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली विकसित की है जिसने इस पहेली को एक सेकंड से भी कम समय में सुलझा दिया। जबकि मानव का वर्तमान विश्व रेकॉर्ड 2 सेकंड से अधिक का है। विश्वविद्यालय की कम्प्यूटर साइंस और गणितज्ञों की टीम ने इस प्रणाली को ‘डीप क्यूब-ए’ नाम दिया है। टीम ने बताया कि यह प्रणाली बिना किसी पूर्व जानकारी और मानवीय प्रशिक्षण के अपनी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर रुकिब क्यूब की पहेली को माइक्रो सेकंड्स में सुलझाने में सक्षम है।
10 अरब विकल्प सुझाए एआइ ने
विशेषज्ञों का कहना है कि रुबिक क्यूब की ६ साइड्स और नौ सेक्शन को सुलझाने के लिए खिलाड़ी के पास अरबों संभावित चालें हो सकती हैं। जिनका एक ही लक्ष्य होता है कि क्यूब की हर साइड पर एक ही रंग हो। टीम के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शतरंज और पोकर जैसे दिमाग वाले खेल में दुनिया के कई दिग्गजों को हरा चुकी है। लेकिन रूबिक क्यूब जैसी जटिल पहेली अभी तक एआइ एल्गोरिद्म से सुलझाई नहीं गई थी। इसलिए टीम ने सोचा कि वे एआइ का इस्तेमाल कर ऐसा करने का प्रयास करेंगे। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर पियरे बाल्डी ने कहा कि रुबिक क्यूब की पहेली को सुलझाने के लिए ज्यादा प्रतीकात्मक, गणितीय और गहरी सोच की जरुरत है। इसलिए डीप लर्निंग का उपयोग कर पैटर्न को गहराई से समझने वाली एआइ एल्गोरिद्म इस पहेली को आसानी से सुलझा सकती है। एआइ अब ऐसी प्रणाली में बदल रही है जो सोच सकती है, लक्ष्य के अनुसार योजना बनाना और सटीक निर्णय लेने में लगातार सक्षम हो रही है। टीम ने नेचर मशीन इंटैलीजेंस में प्रकाशित अपने निष्कर्ष में बताया कि एआइ ने क्यूब की पहेली को सुलझाने के लिए 10 अरब विकल्प सुझाए थे। टीम ने एआइ के समझ पहलेी को हल करने के लिए सिर्फ 30 चालें चलने का विकल्प रखा था।
100 फीसदी सफल रही एआइ एल्गोरिद्म
‘डीप क्यूब-ए’ ने टैस्ट में 100 फीसदी सफलता प्राप्त की। एआइ ने 60 फीसदी समय क्यूब के सभी पैटर्न को एक रंग में लाने के लिए सबसे छोटे कॉम्बिनेशन का उपयोग किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह एल्गोरिद्म रुकिबक क्यूब से मिलते-जुलते पहेली वाले खेलों पर भी समान रूप से काम करता है। रुबिक क्यूब के सबसे माहिर खिलाड़ी भी इसे सुलझाने में करीब 50 चालें चलते हैं। लेकिन एआई सिस्टम ने लगभग 20 चालों में रुबिक क्यूब को हल कर दिखाया वह भी सबसे छोटे रास्ते से। ‘डीप क्यूब-ए’ किसी न्यूरल नेटवर्क पर नहीं चलता, यही बात इसे अन्य एआइ एल्गोरिद्म से अलग बनाती है।
दरअसल, इस एल्गोरिदम को सूचनाओं का विश्लेषण करने की दिमाग की क्षमता की नकल करने के लिए डिजायन किया गया है। एल्गोरिद्म इसी नकल के आधार पर प्राप्त सूचनाओं में अंतर्निहित पारस्परिक संबंधों के आधार पर समाधान खोजता है। एल्गोरिद्म को केवल रुबिक क्यूब पहेली को हल करने के लिए प्रोग्राम किया गया था। शोधकर्ताओं ने ‘डीप क्यूब-ए’ की क्षमता को बढ़ाने के लिए इसे दो दिन तक इसके बिना किसी एडिशनल प्रोग्राम या प्रशिक्षण के अकेले ही प्रशिक्षित किया। प्रोफेसर पियरे बाल्डी ने बताया कि ‘डीप क्यूब-ए’ ने क्यूब की पहेली को खुद ही सुलझाना सीखा। बाल्डी का अनुमान है कि यह एआइ मानव मस्तिष्क से बिल्कुल अलग सोचती और तर्क करती है। वर्ल्ड क्यूब एसोसिएशन के अनुसार 1980 के दशक में जहां इंसान 15 सेकंड से कम समय में क्यूब को सुलझाा लेता था वहीं अब यह समय घटकर 3.5 सेकंड तक आ गया है। ‘डीप क्यूब-ए’ ने रुबिक क्यूब पजल को 1 सेकंड से कम समय में सुलझा लिया।
लेकिन यह दुनिया का सबसे तेज मशीनी दिमाग नहीं है। साल 2016 में जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ‘sub १ reloaded’ नाम का एक रीोबोट बनाया था जिसने 0.637 माइक्रो सेकंड्स में क्यूब की पहेली को सुलझा दिया था। यह रेकॉर्ड भी बीते साल दो अमरीकी भाइयों के बनाए रोबोट ने तोड़ दिया जिसने महज 0 .38 माइक्रो सेकंड्स में क्यूब की पहेली को सुलझा कर यह रेकॉर्ड अपने नाम कर लिया।