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जयपुर

किसी ने बहन की शादी के लिए पैसे जोड़े तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए एफडी कराई, अब ठोकरें खा रहे

क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के शिकंजे में लोग : सब कुछ लुटाया, अब मिल रही ठोकरें, राजस्थान पत्रिका के पास पहुंचीं शिकायतें

जयपुरSep 13, 2019 / 09:21 pm

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किसी ने बहन की शादी के लिए पैसे जोड़े तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए एफडी कराई, अब ठोकरें खा रहे

भवनेश गुप्ता / जयपुर. को-ऑपरेटिव सोसायटी में चिटफंड के जरिए लोगों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाली कंपनियों के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। ऐसे प्रभाावित लोग राजस्थान पत्रिका से लगातार संपर्क साध रहे हैं। शुक्रवार को भी 200 से ज्यादा पीडि़तों ने ई-मेल व वाट्सऐप के जरिए पत्रिका को अपनी पीड़ा बताई। इनमें कई तो ऐसे हैं जिनकी जीवनभर की कमाई ऐसी सोसायटियां डकार गईं। प्रभावितों ने एसओजी से लेकर स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत की। एफआइआर दर्ज कराई लेकिन नतीजा सिफर रहा।

कई युवा भी इस जालसाजी के शिकार हुए, जो परिजन को इस बारे में बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इस गबन से वे अभिकर्ता (एजेंट) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं जिन्होंने बड़ी संख्या में लोगों से निवेश करवाया। ऐसे अभिकर्ताओं का कहना है कि अब उनका जीना दुश्वार हो गया है। लोग उनके घर तक पहुंच रहे हैं लेकिन वे कुछ नहीं कर पा रहे।

केस-01 : सीकर, बोसाना निवासी महेश कुमार, उनके पिता व भाई ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में निवेश किया। अपनी दुकान से होने वाली कमाई का कुछ हिस्सा जोड़ते रहे। इसी राशि में से दुकान में नए सामान की खरीद करते रहे लेकिन जब व्यापार का दायरा फैलाने की बारी आई तो गबन होने की जानकारी मिली। एकबारगी सन्न रह गए। फिर पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
केस-02 : सात माह में रकम डेढ़ गुना करने के नाम पर ऑनलाइन निवेश करवाया। श्योरगेन सोल्यूशन नामक इस चिटफंड कंपनी में राजस्थान के बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पीडि़त विकास कुमार ने 7.10 लाख रुपए निवेश किए। कुछ समय तक तो ब्याज मिलता रहा लेकिन बाद में बंद हो गया। कंपनी के एमडी से लेकर कर्मचारियों तक सभी के मोबाइल बंद हो गए।

केस-03 : जमवारामगढ़ निवासी रतनलाल मीना जैसे सैकड़ों लोगों से पैसे जमा कराने के लिए बिचौलियों का जाल बिछाया गया। बिचौलिए ने जिन लोगों को झांसे में लिया, उनमें ज्यादातर व्यापारी हैं जो हर दिन 100 से 500 रुपए तक जमा कराते रहे। बिचौलिए ने यह राशि डाकघर में जमा कराने की बात कही और डाकघर की फर्जी पासबुक दे दी। पीडि़त रतनलाल की बहन की शादी 12 मई को थी तो वह रकम लेने डाकघर गया। वहां पता चला कि ऐसा कोई अकाउंट है ही नहीं। बिचौलिए को पकड़ा तो उसने बताया कि यह राशि आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के बैंक में जमा कराता रहा। अब वह मोबाइल बंद कर और कमरा खाली कर रफूचक्कर हो गया।
केस-04 : मानसरोवर, दादूदयाल नगर निवासी हेमंत शर्मा ने मई 2018 में विजय पथ स्थित शाखा से 4 लाख रुपए की एफडी कराई। एक साल बाद अप्रेल में पैसा निकलवाने पहुंचे तो जवाब मिला कि अभी राशि नहीं है, अगस्त में आना। पीडि़त के मुताबिक अगस्त में भी मना करते हुए कोर्ट में क्लेम करने के लिए कह दिया गया। इसी तरह उनके परिजन व दोस्तों ने भी अलग-अलग एफडी करवा रखी हैं लेकिन अब भटक रहे हैं।

केस-05 : भीलवाड़ा के मंगलपुरा निवासी शक्ति सिंह ने संस्कार क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ एसओजी में शिकायत की है। सिंह का आरोप है कि सोसायटी पदाधिकारियों ने आमजन, सदस्यों की गाढ़ी मेहनत की कमाई का गबन किया है। आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी का घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने संस्कार सोसायटी का भी पता लगाया तो करीब 3 करोड़ रुपए का मामला सामने आया है। इससे जुड़े दस्तावेज एसओजी को भेजे हैं।

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