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ग्राउंड रिपोर्टः हाइवे पर फंसे सैंकड़ों ट्रक,चालक भूखे मरने को मजबूर

locationजयपुरPublished: Mar 31, 2020 10:38:24 am

Submitted by:

firoz shaifi

जयपुर-दिल्ली हाइवे पर सड़क किनारे बैठे हैं ट्रकों के ड्राइवर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से हैं, हाइवे पर ढाबे बंद से खाने का भी संकट, 23 मार्च से ही हाइवे पर फंसे हैं सैंकड़ों ट्रक, ट्रांसपोर्ट कंपनी भी नहीं ले रही चालकों की सुध

truck driver

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जयपुर। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते 15 मार्च तक लॉक डाउन होने के चलते वो लोग भी यहां फंस चुके हैं जो दूसरे राज्यों से हैं और यहां रहकर अपना गुजारा करते हैं। लॉकडाउन के चलते लोगों के फंसे होने का एक नजारा इन दिनों जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर भी देखने को मिल रहा है,जहां जयपुर की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने वाले सैंकड़ों ट्रक चालक और उनके लोडिंग ट्रक पिछले 10 दिन से फंसे हुए हैं।

अचरोल के पास सड़क किनारे ये लोग बैठें हुए हैं, लॉकडाउन के चलते न तो ये लोग अपने घर जा पा रहे हैं और न ही इनके रहने का कोई ठिकाना है। पत्रिका टीवी ने जब इनसे मौके पर जाकर बात की तो इनका दर्द फूट पड़ा।


भूखे मरने को मजबूर
ट्रक चालकों से बात करने पर उन्होंने बताया कि ये लोग जयपुर की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे, लेकिन ट्रांसपोर्ट कंपनी ने लॉकडाउन के चलते काम बंद कर दिया और उन्हें पूरा पैसा भी नहीं दिया। साथ ही ट्रकों के साथ उन्हें वहां से रवाना कर दिया।

जो थोड़े बहुत पैसे थे उससे काम चल गया लेकिन अब पैसे भी खर्च हो चुके हैं, हाइवे पर तमाम ढाबे भी बंद हैं। दूर-दूर तक कुछ नहीं मिलता, कई बार हाइवे से गुजरने वाले पुलिसकर्मी थोड़ा बहुत खाने को दे जाते हैं। चालकों का कहना है कि अगर लॉतकडाउन इसी तरह से चलता रहा तो हम लोग भूखे मर जाएंगे।


दूसरे राज्यों के हैं चालक
चालकों से बात करने पर पता चला कि ये इन चालकों में से अधिकांश जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों से हैं। चालकों का कहना है कि इन राज्यों के होने के चलते ये लोग पैदल भी नहीं जा सकते हैं। घरवालों के भी फोन आ रहे हैं कि आ जाओ लेकिन जाएं तो जाएं कैसे?

 

सरकार या तो हमें घर भेजे या फिर हमारा प्रबंध करे
ट्रक चालकों का कहना है कि जिस तरह सरकार दूसरे लोगों का ध्यान रख रही है, उनके रहने-खाने का प्रबंध कर ही है, उसी तरह सरकार हमारी भी सुध ले या तो सरकार हमें हमारे घरों तक भेजने का प्रबंध करें या फिर यहीं पर हमारे रहने और खाने का प्रबंध करें। राजस्थान सरकार के साथ हमारे राज्यों की सरकारों से भी हमारी यही मांग है।

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