आईएएस एसोसिएशन की ओर से रविवार को टेक्नो-हब में आयोजित साहित्यिक चर्चा की कड़ी में वरूणा वर्मा ने अपनी पुस्तक की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘लिव लाइफ टू द फुल‘ ही सही अर्थ में सैन्य जीवन है। ऎसा जीवन सैन्य सेवा में ही सम्भव हो सकता है। सामान्य जीवन में हमें ऎसे अवसर उपलब्ध नहीं हो पाते, जो एक आर्मी मैन को मिल पाते हैं। सुःख-दुख, अनुशासन, सहयोग एवं रोमांच सहित जीवन के विविध पहलू एक सैनिक की दिनचर्या का हिस्सा है। देशसेवा के कर्तव्य के साथ-साथ वहां जीवन के हर पल को जीने का अवसर है। जीवन का बेहतर प्रबंधन एक आर्मीमेन से सीखा जा सकता है।
इस पुस्तक में वर्मा ने आर्टिलरी डिवीजन में ऑफिसर रहे अपने पिता के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि भारत-पाक एवं चीन के साथ हुए युद्ध के समय जब मेरे पिता मोर्चे पर तैनात थे तो उस समय युद्ध की सूचना का माध्यम केवल रेडियो हुआ करता था। हम सभी छावनियों में रह रहे सैनिक परिवार रेडियो से ही युद्ध के हालात जानते थे। मैं स्वयं भी पिता के अनुशासन से प्रेरित होकर एक आर्मी ऑफिसर बनना चाहती थी, लेकिन उस समय महिलाओं के लिए फौज में इतने अवसर नहीं थे। लेखिका ने तबादले पर होने वाली विदाई पार्टी, बंगलों, सेना का बड़ा खाना, नव विवाहित जोड़ों को वेलकम करने के अनूठे तरीकों, आर्मी एवं नागरिक प्रशासन के बीच संबंधों, आर्मी कैंटींन की सुविधा के लिए आम लोगों की अपेक्षाओं सहित सैन्य जीवन के विभिन्न पक्षों पर विस्तृत चर्चा की।
इस अवसर पर आईएएस एसोसिएशन की साहित्यिक सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि मेरे पिता भी एयरफोर्स में ऑफिसर रहे। इस नाते मेरा फौजियों के जीवन से गहरा जुड़ाव रहा है। ऎसी पुस्तकें और कार्यक्रम हमें देश के लिए सदैव समर्पित रहने वाले सैनिकों के जीवन को जानने का अवसर देतेे हैं। आईएएस एसोसिएशन भविष्य में भी इस तरह की साहित्यिक चर्चाएं आयोजित करता रहेगा जिससे समाज एवं युवा पीढ़ी को नई दिशा मिलती रहे। पुस्तक पर चर्चा के दौरान सैनिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाले श्रोताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए।