डॉ. प्रतिभा सिंह ने बताया कि इस वर्ष कोविड-19 के दौरान ऑंगनबाडी केन्द्र बंद होने पर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश एवं विभाग के शासन सचिव डॉ. कृष्णा कांत पाठक ने ऑंगनबाडी केन्द्रों पर पंजीकृत लगभग 12 लाख बच्चों को डिजिटल रूप से शाला पूर्व शिक्षा देने के लिए प्रयास शुरू करने के लिये प्रेरित किया था। इसी क्रम में विभाग की निदेशक डॉ. प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में अतिरिक्त निदेशक रंजीता गौतम, सहायक निदेशक मेघा एवं पर्यवेक्षक सुमन यादव द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से प्रारंभिक बाल्यवस्था शिक्षा (ई.सी.ई.) की डिजिटल सामग्री, कलेण्डर एवं वीडियो तैयार करवाकर ऑंगनबाडी कार्यकर्ताओं के माध्यम से अभिभावकों तक पहुॅचाए।
आईसीडीएस की ओर से किए गए कार्य
उन्होंने बताया कि समस्त महिला पर्यवेक्षकों, पूर्व प्राथमिक शिक्षकों, ऑंगनबाडी कार्यकर्ताओं का ऑन लाईन प्रशिक्षण करवाया गया और डिजिटल शिक्षा सामग्री के साथ-साथ नवीन ई.सी.ई. सामग्री के तहत वर्कबुक (किलकारी, उमॅंग एवं तरंग), आंकलन प्रपत्र व मेरी फुलवारी नामक पुस्तक भी ऑंगनबाडी केन्द्रों पर पंजीकृत बच्चों को उनके घर पर ही ऑंगनबाडी कार्यकर्ताओं के जरिए उपलब्ध करवाई गई। इसके अतिरिक्त ई.सी.ई. डिजिटल सामग्री की अधिक से अधिक पहॅुच हेतु विभाग ने अपना यू-ट्यूब चैनल ‘ऑंगनबाडी ई.सी.ई आई.सी.डी.एस. राजस्थान‘ भी तैयार किया है। गौरतलब है कि ‘‘स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट‘ अवार्ड के लिए विभिन्न राज्यों द्वारा विभिन्न विषयों पर ऑनलाईन प्रस्तुतीकरण दिए गए थे, जिसमें ‘रेसपोंस टू कोविड‘ श्रेणी में कोविड-19 के दौरान प्रदेश में ई.सी.ई. के अन्तर्गत किए गएए नवाचारों एवं नवीन ई.सी.ई. सामग्री को पीपीटी, वीडियोज के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।