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आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने रिटर्न के मामले में निफ्टी को पीछे छोड़ दिया

locationजयपुरPublished: Aug 17, 2019 11:02:32 pm

मुंबई। म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को जिस बात पर सबसे पहले फोकस करना चाहिए वह यह कि उनका निवेश असेट अलोकेशन पर आधारित हो। यानी वह जो निवेश कर रहे हैं वह डेट और इक्विटी दोनों में बंटा हो, क्योंकि इनसे जोखिम कम होता है और रिटर्न अच्छा मिलता है। इसी पद्धति को अपनाते हुए अग्रणी म्यूचुअल फंड आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने रिटर्न के मामले में निफ्टी को पीछे छोड़ दिया है।

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आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने रिटर्न के मामले में निफ्टी को पीछे छोड़ दिया

अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़े बताते हैं कि परिसंपत्तियों के वर्गों के बीच में जब निवेश किया जाता है तो यह सहज निवेश के अनुभवों को लंबी अवधि में सुनिश्चित करता है। पिछले एक दशक में जब भी बाजार तेजी या मंदी में रहा है, तो निफ्टी 50 टीआरआई ने 10.2 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि इसी अवधि में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के असेट अलोकेटर फंड ने 12.1 फीसदी का रिटर्न दिया है, वह भी जब इसका एक्सपोजर इक्विटी में केवल 41 फीसदी रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि आपने अगर 2010 में निफ्टी में 10 लाख रुपए का निवेश किया होगा तो यह राशि बढ़कर 24,93,534 रुपए हो गई होगी, जबकि आईसीआईसीआई अलोकेटर फंड में यह बढ़कर 29,31,572 रुपए हो गई होगी। यानी निवेशकों को बेंचमार्क की तुलना ६में करीबन 4.50 लाख रुपए का अधिक फायदा हुआ है।
यही नहीं, जब भी बेंचमार्क इंडाइसेस का रिटर्न सपाट रहा है, तब भी उपरोक्त फंड दो अंकों में रिटर्न देने में सफल रहा है, जिससे पता चलता है कि असेट अलोकेशन की रणनीति कितनी फायदेमंद रहती है। ऐसा देखा जाता है कि जब भी बाजार में गिरावट होती है, निवेशक तुरंत डर के मारे इक्विटी में बिकवाली करने लगते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत के बाहर भी ऐसा कई बार देखा गया है। जब भी बात इक्विटी निवेश और रणनीति की आती है तो निवेशकों को कम मूल्य पर खरीद कर ऊंचे मूल्य पर बेचने की रणनीति का पालन करना चाहिए। इसी तरह की रणनीति को अपनाते हुए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल असेट अलोकेटर फंड निवेशकों को अच्छा लाभ देता है।
अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में अगस्त और सितंबर तथा 2018 में फरवरी और सितंबर ऐसे महीने रहे है, जब बाजार का मूल्यांकन अपने शीर्ष स्तर पर रहा है। रिटेल निवेशकों ने उस समय बाजार में 16,000 से 21,000 करोड़ रुपए का निवेश किए, जबकि दूसरी ओर जब बाजार का मूल्यांकन जनवरी और सितंबर 2013 में निचले स्तर पर था, निवेशकों ने 17,000 करोड़ रुपए बाजार से निकाल लिए। इसी तरह का रुझान मार्च 2014 में भी देखा गया, जब निवेशकों ने 13,000 करोड़ रुपए की निकासी की। इस तरह की आदत निवेशकों की वित्तीय स्थिति पर काफी बुरा असर डालती है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इसके इलट असेट अलोकेशन का पालन करता है और इन हाउस मूल्यांकन मॉडल का पालन करता है जो तमाम मैक्रो और माइक्रो कारकों पर आधारित होता है। निवेशक ऐसे मामले में इस तरह के फंड में एसआईपी के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन यह भी देखना होगा कि यह निवेश लंबी अवधि के लिए हो।

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