अपने कैनवस पर प्रकृति को हूबहू उतार देता है यह चितेरा
जयपुरPublished: Mar 28, 2020 07:20:50 pm
लगभग तीन दशकों से क्यूबाई मूल के चित्रकार टॉमस सेंचेज ताड़ के पेड़ों और घनी झाड़ियों से भरे जंगलों के निर्मल परिदृश्य चित्रित करते आए हैं; वे अपनी कला में इतने निपुण है कि उनकी बनाई पेंटिंग, किसी कैमरे से खींची गई तस्वीर सरीखी लगती हैं।
अपने कैनवस पर प्रकृति को हूबहू उतार देता है यह चितेरा
इस कलाकार का कहना है कि प्रकृति जितनी बाहर है, उतनी ही आपके भीतर भी है, यही वजह है कि क्यूबाई मूल के चित्रकार टॉमस सेंचेज अपने काम को प्रकृति से एकाकार होना कहते हैं, टॉमस किसी चित्र को देखकर अपना कैनवस नहीं रंगते बल्कि मन से प्राकृतिक लैंडस्केप तैयार करते हैं।
टॉमस की यथार्थवादी पेटिंग प्रकृति की अपरिपक्वता पर ध्यान केंद्रित करती हैं क्योंकि वे झरनों या कुदरत के तयशुदा चित्रों से अलग होती है। खुद सेंचेज का कहना है, ‘हमेशा से ही मेरी दो चीजों में बुनियादी दिलचस्पी रही है: कला और ध्यान, दोनों का अंतरंग संबंध है। ध्यान में अनुभव करने वाले आंतरिक स्थान मेरे चित्रों के परिदृश्य में परिवर्तित हो जाते हैं; मेरे मन की बेचैनी लैंडफिल में तब्दील हो जाती है। जब मैं पेंट करता हूं, मैं ध्यानस्थ अवस्था का अनुभव करता हूं; ध्यान के माध्यम से मैं प्रकृति के साथ मिलता हूं और प्रकृति बदले में, मुझे ध्यान की ओर ले जाती है। आंतरिक अनुभव और बाहरी बाहरी अनुभव एकमेक हो जाते हैं। यह मुझे मेरे परिवेश के प्रति संवेदनशील बनाता है। मैं विविधता और मुक्त अभिव्यक्ति का सम्मान करता हूं।’
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