ऐसे लगेगा जुर्माना निर्धारित अवधि में सत्रांक नहीं भरने पर और भरने के बाद भी कोई त्रुटि रहती है तो उसमें सुधार करने के लिए 15 अप्रेल से विलम्ब शुल्क लगेगा। यह संबंधित शाला प्रधान व शिक्षक से वसूला जाएगा।
8 अप्रेल के बाद 15 अप्रेल तक विलम्ब/संशोधन शुल्क 50 रुपए प्रति विद्यार्थी लगेगा। अधिकतम 5 हजार रुपए प्रति विद्यालय इसे लिया जा सकेगा। इसके बाद 22 अप्रेल तक दोगुना विलम्ब शुल्क 100 रुपए प्रति विद्यार्थी और 10 हजार रुपए प्रति विद्यालय तक वसूला जाएगा। शुल्क ई—मित्र पर जमा होगा, उसके बाद ही आॅनलाइन सत्रांक भरने ओर संशोधन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
8 अप्रेल के बाद 15 अप्रेल तक विलम्ब/संशोधन शुल्क 50 रुपए प्रति विद्यार्थी लगेगा। अधिकतम 5 हजार रुपए प्रति विद्यालय इसे लिया जा सकेगा। इसके बाद 22 अप्रेल तक दोगुना विलम्ब शुल्क 100 रुपए प्रति विद्यार्थी और 10 हजार रुपए प्रति विद्यालय तक वसूला जाएगा। शुल्क ई—मित्र पर जमा होगा, उसके बाद ही आॅनलाइन सत्रांक भरने ओर संशोधन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हर साल होती है परेशानी
हर साल स्कूल संचालक विद्यार्थियों के सत्रांक समय पर बोर्ड को नहीं भेजते हैं। कई बार तो उनमें संशोधन भी होता है। ऐसी स्थिति में बोर्ड को परिणाम जारी करने में भी परेशानी होती है। इस बार इस परेशानी को दूर करने के लिए बोर्ड ने जुर्माना वसूलने का नया नियम बनाया है। अब इससे इस पर कुछ हद तक लगाम लग सकती है।
हर साल स्कूल संचालक विद्यार्थियों के सत्रांक समय पर बोर्ड को नहीं भेजते हैं। कई बार तो उनमें संशोधन भी होता है। ऐसी स्थिति में बोर्ड को परिणाम जारी करने में भी परेशानी होती है। इस बार इस परेशानी को दूर करने के लिए बोर्ड ने जुर्माना वसूलने का नया नियम बनाया है। अब इससे इस पर कुछ हद तक लगाम लग सकती है।
मनमानी पर लगेगी रोक
सत्रांक समय पर भेजने से स्कूलों की मनमानी पर भी रोक लगेगी। अब यह प्रक्रिया बोर्ड ने आॅनलाइन की है। पहले के बोर्ड परिणामों पर गौर करें तो कई विद्यार्थी ऐसे मिलते हैं, जिनके लिखित में 80 में 1, 2, 3 नंबर होते हैं और सत्रांक में स्कूल उनके 20 में से 20 अंक पूरे भेजते हैं। अब इस व्यवस्था पर भी रोक लगेगी।
सत्रांक समय पर भेजने से स्कूलों की मनमानी पर भी रोक लगेगी। अब यह प्रक्रिया बोर्ड ने आॅनलाइन की है। पहले के बोर्ड परिणामों पर गौर करें तो कई विद्यार्थी ऐसे मिलते हैं, जिनके लिखित में 80 में 1, 2, 3 नंबर होते हैं और सत्रांक में स्कूल उनके 20 में से 20 अंक पूरे भेजते हैं। अब इस व्यवस्था पर भी रोक लगेगी।