विद्यार्थी जा सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
राहत शिविरों में फंसे है हजारों प्रवासी: लॉकडाउन में फंसे मारवाड़ी बोले... पाली. लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों के राहत शिविरों में फंसे हजारों मारवाडिय़ों (प्रवासी राजस्थानियों) की उम्मीदों को धक्का लगा है। करीब एक पखवाड़े से ज्यादा समय से अलग-अलग जगह शिविरों में परेशानियों झेल रहे मारवाडिय़ों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार से आग्रह किया कि अब उन्हें घर भेजने का बंदोबस्त तत्काल किया जाए। साथ ही उन्होंने सरकारों की मंशा पर सवाल भी उठाए हैं कि कोटा के विद्यार्थियों

खासतौर से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में रहते हैं। मारवाडिय़ों में एक सम्पन्न वर्ग है जिनक खुद का व्यापार है। दूसरा वर्ग नौकरी करता हैं। नौकरी करने वालों की संख्या ज्यादा है। व्यापार और काम-धंधे बंद होने के कारण यही वर्ग विभिन्न साधनों से मारवाड़ के लिए रवाना हो गया था। राज्यों की सीमाएं सील होने के बाद हजारों प्रवासियों को बीच रास्तों में ही रोक लिया गया। अकेले पाली, जालोर व सिरोही जिले के करीब 60 से 70 हजार लोग अलग-अलग शिविरों में फंसे हुए हैं। प्रवासी राजस्थानी फ्रेंड्स फाउंडेशन ने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि मारवाडिय़ों को सुरक्षित रूप से घर पहुंचाया जाए।
सरकार बंदोबस्त करे
&प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि प्रवासी राजस्थानियों को उनके घर पहुंचाने का बंदोबस्त किया जाए। राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है। हजारों प्रवासी बीच रास्ते में अटके हुए हैं। वे हमारी शान और पहचान है। राहत शिविरों में भी अब काफी हो गया। आवश्यक होने पर उन्हें घरों में भी क्वारंटिन किया जा सकता है। अलग राज्यों का मसला होने के कारण केन्द्र सरकार को यह कदम उठाना चाहिए। यह उसके अधिकार क्षेत्र में हैं।
श्रवणसिंह राठौड़, अध्यक्ष, प्रवासी राजस्थानी, फ्रेंड्स फाउंडेशन
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