...तो 650 खानों का नहीं होता आवंटन
राज्य सरकार यदि 30 अक्टूबर, 2014 के केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करती तो प्रदेश में करीब 650 खानों की बंदरबाट नहीं होती

सुनील सिंह सिसोदिया
जयपुर। राज्य सरकार यदि 30 अक्टूबर, 2014 के केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करती तो प्रदेश में करीब 650 खानों की बंदरबाट नहीं होती। इस आदेश की पालना में खनिज प्रधान राज्य बिहार व मध्य प्रदेश में खान आवंटन लगभग रोक दिया गया था। केन्द्र सरकार ने इस आदेश में टूजी व कोल ब्लॉक जैसे महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए आदेशों का हवाला दिया था। लेकिन इस आदेश को दरकिनार कर प्रदेश में खान एवं भू विज्ञान विभाग ने नई मेजर मिनरल खनन नीति आने से पहले ही करीब सवा माह में 650 खानों का आवंटन कर दिया। कई खाने तो आवेदन के मात्र चार से पांच दिन में ही आवंटित कर दी थी।
केन्द्रीय खान मंत्रालय टूजी व कोल ब्लॉक आवंटन में हुए घोटालों को लेकर नई मेजर मिनरल खनन नीति तैयार कर रहा था। इसको देखते हुए खान आवंटन में पारदर्शिता रखने के लिए 30 अक्टूबर 2014 के आदेश में राज्य सरकार को कहा गया था। खान आवंटन में "पहले आओ-पहले पाओ" की प्रचलित नीति को दरकिनार कर खनन क्षेत्रों की अधिसूचना जारी करने के लिए कहा था, जिससे ज्यादा लोगों को जानकारी मिल सके।
खनन पट्टे भी सीधे ही देने के लिए कहा था, लेकिन इससे पहले यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क क्लासिफिकेशन (यूएनएफसी) 1997 के तहत पूर्वेक्षण कराना आवश्यक था। जिससे कि आवंटित किए जाने वाले क्षेत्र में खनन की उपलब्धता तय की जा सके। लेकिन खान विभाग ने इन नियमों की अनदेखी करने के साथ ही खनन क्षेत्रों की अधिसूचना जारी कराए बिना ही खनन पट्टों की बंदरबाट कर दी।
बिहार में कोई नहीं, मध्य प्रदेश में छह आवंटन
बिहार व मध्य प्रदेश भी खनिज प्रधान राज्य हैं। लेकिन इन राज्यों में भी 30 अक्टूबर 2014 की पालना में खानों का आवंटन नहीं किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से बिहार सरकार 1 नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के बीच वृहद खनिज पट्टों को लेकर मांगी गई सूचना में बताया गया है कि इस अवधि में प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस (पीएल) तथा लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) कोई जारी नहीं किया गया है। इसी प्रकार बेवसाइट से मध्य प्रदेश के मिले आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 में मात्र 6 एलओआई व पीएल जारी किए गए हैं।
पंकज ने सिंघवी को लिखा था पत्र
प्रदेश में खानों का आवंटन नियमों के तहत नहीं होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार के 30 अक्टूबर 2014 के आदेश का हवाला देते हुए अतिरिक्त खान निदेशक पंकज गहलोत ने 5 नवंबर 2015 को विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी को पत्र लिखा था। जिसमें कहा था कि भारत सरकार की गाइडलाइन से तो एक प्रकार से नवीन खनन पट्टे जारी करने पर रोक लग जाएगी। लेकिन खान विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के चलते गहलोत व अन्य अधिकारियों ने धड़ाधड़ खानें आवंटित कर रिकॉर्ड बना दिया।
जयपुर। राज्य सरकार यदि 30 अक्टूबर, 2014 के केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करती तो प्रदेश में करीब 650 खानों की बंदरबाट नहीं होती। इस आदेश की पालना में खनिज प्रधान राज्य बिहार व मध्य प्रदेश में खान आवंटन लगभग रोक दिया गया था। केन्द्र सरकार ने इस आदेश में टूजी व कोल ब्लॉक जैसे महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए आदेशों का हवाला दिया था। लेकिन इस आदेश को दरकिनार कर प्रदेश में खान एवं भू विज्ञान विभाग ने नई मेजर मिनरल खनन नीति आने से पहले ही करीब सवा माह में 650 खानों का आवंटन कर दिया। कई खाने तो आवेदन के मात्र चार से पांच दिन में ही आवंटित कर दी थी।
केन्द्रीय खान मंत्रालय टूजी व कोल ब्लॉक आवंटन में हुए घोटालों को लेकर नई मेजर मिनरल खनन नीति तैयार कर रहा था। इसको देखते हुए खान आवंटन में पारदर्शिता रखने के लिए 30 अक्टूबर 2014 के आदेश में राज्य सरकार को कहा गया था। खान आवंटन में "पहले आओ-पहले पाओ" की प्रचलित नीति को दरकिनार कर खनन क्षेत्रों की अधिसूचना जारी करने के लिए कहा था, जिससे ज्यादा लोगों को जानकारी मिल सके।
खनन पट्टे भी सीधे ही देने के लिए कहा था, लेकिन इससे पहले यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क क्लासिफिकेशन (यूएनएफसी) 1997 के तहत पूर्वेक्षण कराना आवश्यक था। जिससे कि आवंटित किए जाने वाले क्षेत्र में खनन की उपलब्धता तय की जा सके। लेकिन खान विभाग ने इन नियमों की अनदेखी करने के साथ ही खनन क्षेत्रों की अधिसूचना जारी कराए बिना ही खनन पट्टों की बंदरबाट कर दी।
बिहार में कोई नहीं, मध्य प्रदेश में छह आवंटन
बिहार व मध्य प्रदेश भी खनिज प्रधान राज्य हैं। लेकिन इन राज्यों में भी 30 अक्टूबर 2014 की पालना में खानों का आवंटन नहीं किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से बिहार सरकार 1 नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के बीच वृहद खनिज पट्टों को लेकर मांगी गई सूचना में बताया गया है कि इस अवधि में प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस (पीएल) तथा लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) कोई जारी नहीं किया गया है। इसी प्रकार बेवसाइट से मध्य प्रदेश के मिले आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 में मात्र 6 एलओआई व पीएल जारी किए गए हैं।
पंकज ने सिंघवी को लिखा था पत्र
प्रदेश में खानों का आवंटन नियमों के तहत नहीं होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार के 30 अक्टूबर 2014 के आदेश का हवाला देते हुए अतिरिक्त खान निदेशक पंकज गहलोत ने 5 नवंबर 2015 को विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी को पत्र लिखा था। जिसमें कहा था कि भारत सरकार की गाइडलाइन से तो एक प्रकार से नवीन खनन पट्टे जारी करने पर रोक लग जाएगी। लेकिन खान विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के चलते गहलोत व अन्य अधिकारियों ने धड़ाधड़ खानें आवंटित कर रिकॉर्ड बना दिया।
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