जज ने कहा, चंद्रन ने जो तस्वीरें पेश की हैंए उनमें महिला की ड्रेस उकसाने वाली थी। यह विश्वास करना मुश्किल है कि 74 साल के विकलांग ने छेड़छाड़ की होगी। इस मामले को लेकर अब समाज में एक नई बहस छिड़ गई है। इसके निशाने पर एक बार फिर से महिलाओं द्वारा पहने जा रहे कपड़े आ गए हैं। एक तरफ जहां संविधान समानता का अधिकार देता है। ऐसे में अब फैसला और इस अधिकार के बीच अटकता हुआ दिखाई दे रहा है।
पूर्व जजों ने टिप्पणी पर जताई आपत्ति
कोर्ट की टिप्पणी पर महिला एक्टिविस्ट्स व पूर्व जजों ने आपत्ति जताई है। पीड़िता के करीबियों ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि सोशल मीडिया की तस्वीरें कोर्ट में पेश की गईं। पीड़िता जल्द हाई कोर्ट का रुख करेगी।
कोर्ट का सवाल
अदालत ने सवाल उठाया कि इस मामले में एफआइआर दर्ज करने में देर क्यों हुई। घटना फरवरी 2020 की बताई जा रही हैए जबकि एफआइआर इस साल दर्ज हुई। शिकायत में पीड़िता ने बताया कि आरोपी लेखक ने जब सारी हदें पार कर दीं तो उसने शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया।