प्राथमिक लक्षणों की नजरअंदाजी बन रही डायबिटीज रेटिनोपैथी का बड़ा कारण
जयपुरPublished: Nov 14, 2019 01:55:11 am
डायबिटीज दिवस आज
प्राथमिक लक्षणों की नजरअंदाजी बन रही डायबिटीज रेटिनोपैथी का बड़ा कारण
जयपुर. दुनिया में डायबिटीज रेटिनोपैथी अंधता का मुख्य कारण बन चुका है। दुनिया में इस समय करीब 37 लाख लोग दृष्टि रोग या अंधता से पीडि़त हैं। भारत में डायबिटिक मरीजों की संख्या करीब 7.4 करोड़ है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विजन 2020 में राइट टू साइट इनिशिएटिव में डायबिटिक रेटिनोपैथी को को प्राथमिकता सूची में शामिल किया है। सवाई मानसिंह अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.विशाल अग्रवाल ने बताया कि टाइप वन और टाइप 2 डायबिटीज के करीब दो तिहाई मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी होने की संभावना होती है। जितने अधिक समय से डायबिटीज बीमारी होती है, उतना ही अधिक डायबिटीज रेटिनोपैथी होने की संभावना रहती है। इसका समय पर उपचार नहीं हो तो मरीज की दृष्टि पूरी तरह जा सकती है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस बीमारी के कोई लक्षण मरीज को महसूस नहीं होते या साधारण दृष्टि संबंधित समस्याएं होती है, जिन्हें नजरअंदाज करना घातक हो जाता है। बीमारी बढऩे के साथ-साथ धुंधलापन, नजर में कमी, रंगों को पहचानने की क्षमता में कमी, आंखो के सामने काले धब्बे या धागेनुमा संरचनाएं दिखाई देने लगती है।
उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था, तम्बाकू का प्रयोग डायबिटिक रेटिनोपैथी की संभावना को बढ़ाने वाले कारक हैं । इस रोग का उपचार न होने की स्थिति में विट्रियस हेमरिज, रेटिनल डिटैच्मेंट, ग्लॉकोमा जैसी गम्भीर समस्याएं और आखरिक़ार अन्धता भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज़ का उचित प्रबंधन ही दृष्टि को होने वाली क्षति से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। नवंबर माह डायबिटीज जागरुकता माह के रूप मे मनाया जाता है। साथ ही हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो डायबिटीज और उससे होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति सजग रहें।